(21) राजकीय आत्मनिर्भर मंदिर श्री भद्रकाली जी, 08 एच.एम.एच. हनुमानगढ टाउन जिला हनुमानगढ

इतिहास:- राजकीय आत्मनिर्भर मंदिर श्री श्री भद्रकाली जी 8 एच.एम.एच. हनुमानगढ टाउन जिला हनुमानगढ में स्थित है। मन्दिर श्री भद्रकाली जी हनुमानगढ टाउन देवस्थान विभाग द्वारा प्रबन्धित एवं नियन्त्रित है।

उक्त मंदिर तकरीबन 500 वर्ष पहले मुगल बादशाह अकबर इस इलाके से गुजर रहा था उस समय यह पूरा बियाबान जंगल था। इस जंगल में उसे एक बुढ़िया दिखायी दी। यह बुढ़िया वर्तमान भद्रकाली माता ही थी। बुढ़िया से अकबर ने कहा की माई मुझे प्यास लगी है पानी मिल सकता है। बुढ़िया ने उसे जमीन से थोड़ा पानी निकालकर पानी दिया। जैसे पानी की कमी हुई तो वापस जमीन से पानी निकाल कर दिलाया तो अकबर को लगा कि यह कोई देवीय शक्ति है और अकबर ने माता के पैर पकड़ लिए और कहा कि माता मुझे खाना खिलाओ। माताजी ने खाना खिलाया और आगे टोकरी रखी और कहा कि इसको हटाना मत एक ही जगह पड़ी रहने देना और इस प्रकार पूरी सेना को खाना खिला दिया।

माता के यहां पधारने का विशेष दिन चैत्र की अष्टमी और रामनवमी को होता है। इस दिन माता के यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। अपनी श्रद्धा अनुसार कोई नारियल चढ़ाता है। प्रसाद घर पर भी बनाते हैं और यहां चढ़ावे के रूप में इसे लाया जाता है। पुजारी जी बताते हैं कि वे पुजारी वर्ग की चौथी पीढ़ी में हैं उनकी दादा परदादाओं को महाराजा गंगा सिंह लेकर आए थे और उसके बाद से हमारी परंपरा चली आ रही है। मंदिर में मूर्ति की पुनस्थापना महाराजा गंगा सिंह ने करवाई। भद्रकाली माता की दूसरी मूर्ति महाराजा गंगा सिंह ने लालगढ़ में स्थापित करवाई। यहां पर मूर्ति स्थापना करवाने के पीछे तर्क यह दिया जा रहा है मुस्लिम आक्रांता होने की वजह से यहाँ कब्जा न कर लें।

मंदिर श्री भद्रकाली जी का प्रतिवर्ष चैत्र नवरात्रा में मेला लगता है। जिसमें श्रद्धालुओं की सुविधा एवं सुरक्षा हेतु विभिन्न प्रकार की व्यवस्थाऐं यथा टेन्ट व्यवस्था, पेयजल व्यवस्था, विद्युत व्यवस्था, बैरिकेटिंग व्यवस्था, सीसीटीवी कैमरा व्यवस्था, सफाई व्यवस्था आदि की समस्त प्रकार की व्यवस्था देवस्थान विभाग राजस्थान सरकार द्वारा की जाती है।