जिला - झालावाड

(30) राजकीय प्रत्यक्ष प्रभार श्रेणी मन्दिर श्री द्वारिकाधीशजी झालावाड

मन्दिर श्री द्वारिकाधीशजी की स्थापना झालावाड महाराज जालिम सिंह जी ने की । वैष्णव सम्प्रदाय के वल्लभ कुल का यह एक प्रसिद्ध धाम है। जनश्रुति के अनुसार इस मन्दिर का निर्माण सन् 1796 ईस्वी में झाला जालिम सिंह ने करवाया किन्तु इसमें भगवान द्वारिकाधीश के विग्रह की स्थापना सन् 1805 में की गई । जनश्रृति अनुसार जिस समय  झालरापाटन नगर बस रहा था उस समय यहां के निवासी गंगाराम को अपने भवन निर्माण के समय रात्रि में एक स्वप्न दिखाई दिया । उसने देखा कि जिस भवन का वह निर्माण करवा रहा है उसकी खुदाई में चार मूर्तियां मिलेंगी । कौतुहलवश खुदाई करने पर गंगाराम को एक संदूक में द्वारिकाधीश, रमणीकनाथ, गोपीनाथ व सन्तनाथ की मूर्तियां मिली । इस बात की सूचना पाकर झाला जालिम सिंह वहां आये और चारों देव मूर्तियों के नाम कागज पर लिख कर अबोध बालक से उठाने को कहा। बालक द्वारा द्वारिकाधीश की मूर्ति की पर्ची उठाई गई। पुष्ठि मार्गीय परम्परा के अनुसार झाला जालिम सिंह ने इस मूर्ति की प्रतिष्ठा करवाई। गोमती नदी के तट पर स्थित भगवान द्वारिकाधीश का यह देवालय हजारों लोगों का श्रृद्धाधाम है। पुष्टिमार्ग प्रेमपंथ है। इस मार्ग में भगवान कृष्ण की बाल स्वरुप में सेवा पूजा की जाती है। जिसमें वात्सल्य भाव, निर्मलता एवं पवित्रता की प्रधानता है।