(2) राजकीय आत्मनिर्भर मंदिर श्री माताजी मावलियान, आमेर, जयपुर
यह मालवीय माता जी का प्रतिरूप है। इस मंदिर को पारियो का बाग भी कहा जाता है। यह उद्यान 17 वीं शताब्दी के मध्य तक फला.फूला। राजा मान सिंह ;1589.1614 ।ण्क्ण्द्ध के पुत्रों में से एक श्याम सिंह के आदेश पर यह सुखद उपवन बनाया गया था।
इस कारण से इसे श्याम बेग के नाम से जाना जाता था। यह उद्यान 17 वीं शताब्दी के मध्य तक विकसित हुआ। बगीचे में फलों और फूलों के पेड़ों की कई वेनेटी हैं। नियत समय में इसमें झाड़ियाँ लगाई गईं। दो कदम कुएँ और एक बगीचे में अच्छी तरह से पानी की आपूर्ति। 17 वीं शताब्दी के अंत में कवि नीलकांत ने अपने छंद के संग्रह में ष्गंडकष् नामक गीत का वर्णन किया है |