क्रम सं. |
मंदिर |
संख्या |
विवरण |
A |
मंदिर |
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1 |
राजकीय प्रत्यक्ष प्रभार श्रेणी मंदिर |
390 |
विलीनीकरण के पश्चात वर्तमान राज्य शासन को उत्तरदायित्व में प्राप्त हुये मन्दिर, जिनकी परिसम्पतियों का सीधा प्रबंधन एवं नियंत्रण देवस्थान विभाग के द्वारा किया जाता है। |
2 |
राजकीय आत्म निर्भर श्रेणी मंदिर |
203 |
विलीनीकरण के पश्चात वर्तमान राज्य शासन को उत्तरदायित्व में प्राप्त हुये मन्दिर, जिनकी परिसम्पतियों के प्रबंधन हेतु देवस्थान विभाग के द्वारा उनके पुजारियों को अधिकृत किया गया है। |
3 |
राजकीय सुपुर्दगी श्रेणी मंदिर |
343 |
सुपुर्दगी श्रेणी के मंदिरों के प्रबंध एवं सम्पति के रख-रखाव का दायित्व संबंधित सुपुर्दगार का होता है। इनमें सुपुर्दगार के रूप में कुछ मंदिर प्रन्यास के अधीन श्रेणी के मंदिर भी हैं। इसके अन्तर्गत मुख्यतः दो प्रकार के मंदिर हैंः-
- पूर्व देशी राज्यों के शासकों द्वारा विभिन्न पण्डितों/महन्तों/गोस्वामियों/विद्वानों एवं संस्थाओं को सेवा पूजा एवं सम्पति की देखभाल हेतु सुपुर्द किये गये मन्दिर
- देवस्थान विभाग द्वारा कालान्तर में विभिन्न संस्थाओं/व्यक्तियों को सुपुर्द किये गये मन्दिर
इनमें अनेक मन्दिरों की षिकायतों की जांच के उपरान्त नवीन सुपुर्दगार नियुक्त किये गये हैं। उदाहरणार्थ राज्य सरकार के आदेष क्रमांक प.5 (23)देव/94 जयपुर दिनांक 29.9.2008 द्वारा तत्समय सुपुर्दगी श्रेणी के 400 मन्दिरो में से 59 मन्दिरों को सुपुर्दगी श्रेणी से विलोपित किया गया है। |
4 |
राजकीय सहायता प्राप्त मंदिर |
10009 |
विलीनीकरण के पूर्व रियासतों द्वारा मन्दिरों की सेवा-पूजा धूप-दीप नैवेद्य आदि के लिये स्वीकृत की गई सहायता राशि /सहायता अनुदान का परम्परागत वार्षिक भुगतान वाले मंदिर। |
5 |
वार्षिकी (एन्यूइटी) प्राप्त मंदिर |
48466 |
मन्दिरों/मठों की जागीरों के पुनर्ग्रहण के फलस्वरूप जागीर विभाग द्वारा निर्धारित वार्षिकी (एन्यूटी) वाले मंदिर। |
6 |
मंदिर मंडल अधिनियम के अंतर्गत मंदिर |
2 |
ऐसे मंदिर जिनके लिए पृथक से विशेष मंदिर मण्डल अधिनियम बनाये गये हैं। ऐसे मंदिरों की संख्या केवल दो हैः-
- श्रीनाथ जी मंदिर, नाथद्वारा, राजसमंद, राजस्थान
- साँवलिया जी मंदिर, चितौडगढ़, राजस्थान
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7 |
प्रन्यास के अधीन मंदिर |
3385 |
राजस्थान सार्वजनिक प्रन्यास अधिनियम 1959 के प्रावधानों के अन्तर्गत गठित प्रन्यासों (ट्रस्टों) के अधीन मंदिर। इनमें कुछ मंदिर सुपुर्दगी श्रेणी के मंदिर भी हैं। |
8 |
ग्रामीण क्षेत्रों में विद्यमान माफी/कृषि भूमि वाले अपंजीकृत/पंजीकृत मंदिर |
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राज्य में बड़ी संख्या में ऐसे मंदिर भी हैं जो न तो देवस्थान विभाग के प्रत्यक्ष रूप से अधीन है और न ही देवस्थान विभाग में राजस्थान सार्वजनिक प्रन्यास अधिनियम के अन्तर्गत गठित प्रन्यासों (ट्रस्टों) के अधीन हैं। इनके प्रबंधन हेतु प्रशासनिक सुधार विभाग के आदेश दिनांक 07.12.2009 के अन्तर्गत उपखण्ड अधिकारी की अध्यक्षता में 7 सदस्यीय समिति गठित हैं। |
9 |
निजी मंदिर |
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ऐसे मंदिर जो कालान्तर में निजी रूप में बनवाये गये हैं। |
10 |
अन्य मंदिर |
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ऐसे मंदिर जो विभिन्न सार्वजनिक भूमियों पर निर्मित हैं, किन्तु उनका और उनकी भूमि पर उनके स्वामित्व का कोई स्पष्ट या वैध अभिलेख उपलब्ध नहीं है। |