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योजना का नाम |
कैलाश मानसरोवर यात्रा हेतु श्रद्धालुओं को सहायता |
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योजना प्रारंभ वर्ष |
1 अप्रैल 2011 से |
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योजना का उद्देश्य व संक्षिप्त विवरण |
विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के माध्यम से कैलाश मानसरोवर की यात्रा सफलतापूर्वक सम्पन्न करने वाले राजस्थान के स्थायी मूल निवासियों को श्रद्धालुओं को रुपये 1,00,000/- (अक्षरे एक लाख रुपये) प्रति यात्री की सहायता। |
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तीर्थयात्रा हेतु अनुदान राशि |
रुपये 1,00,000/- (अक्षरे एक लाख रुपये) प्रति यात्री की सहायता। |
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योजना में कुल लाभार्थियों की विभागीय सीमा |
100 तीर्थयात्री (सामान्यतः )
तीर्थयात्रा हेतु अधिक आवेदक होने पर लॉटरी द्वारा चयन |
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योजना की शर्तें/पात्रता |
(1) इस योजना का लाभ केवल राजस्थान के स्थायी मूल निवासियों को ही देय होगा।
(2) कैलाश मानसरोवर की यात्रा विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के माध्यम से की जानी होगी एवं
(3) यात्रा समाप्ति के पश्चात विदेश मंत्रालय द्वारा सफलतापूर्वक यात्रा सम्पन्न किये जाने का प्रमाणीकरण संलग्न किया जाना होगा।
(4) जीवन काल में केवल एक बार अनुदान प्राप्त करने की पात्रता होगी। |
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आवेदन की प्रक्रिया |
- कैलाश मानसरोवर की यात्रा हेतु आवेदन की प्रक्रिया विदेश मंत्रालय भारत सरकार के माध्यम से संपादित की जायेगी।
- देवस्थान विभाग से अनुदान हेतु आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन होगी, जिसकी तिथि विभागीय विज्ञप्ति अनुसार घोषित की जायेगी। सामान्यतः यह प्रक्रिया जून से सितम्बर माह में की जाएगी. सहायता अनुदान हेतु ऑनलाइन आवेदन में भी आवेदन-पत्र का प्रिंट वांछित दस्तावेज सहित यात्रा करने के दो माह के अन्दर जमा कराना होगा।
- ऑफलाइन की स्थिति में सहायता अनुदान हेतु आवेदन-पत्र विभागीय वेबसाइट से डाउनलोड कर सहायक आयुक्त कार्यालय देवस्थान विभाग में जमा कराना होगा। आवेदन की ऑफलाइन प्रक्रिया तभी मान्य होगी, जब इस हेतु विशेष निर्देश जारी हों.
- यदि निर्धारित कोटे से अधिक संख्या में आवेदन प्राप्त होते हैं, तो लॉटरी (कम्प्यूटराईज्ड ड्रा आफ लाट्स) द्वारा यात्रियों का चयन किया जा सकेगा.
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आवेदन के साथ वांछित दस्तावेज |
1. राजस्थान के मूल निवास प्रमाण पत्र की प्रमाणित फोटो प्रति।
2. पासपोर्ट (मय स्थायी पते) की प्रमाणित फोटो प्रति।
3. यात्रा संबंधी वांछित वीजा सील/अंकन की प्रमाणित फोटो प्रति।
4. विदेश मंत्रालय, भारत सरकार से यात्रा सफलतापूर्वक सम्पन्न करने के प्रमाण पत्र की प्रमाणित फोटो प्रति।
5. आधार कार्ड/मतदाता पहचान-पत्र/ भामाशाह कार्ड की फोटो-प्रति। |
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चयन व आवंटन की प्रक्रिया |
कैलाश मानसरोवर की विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के माध्यम से यात्रा करने वाले श्रद्धालु यात्रा समाप्ति के दो माह के अन्दर अपना आवेदन संबंधित उपखण्ड अधिकारी/सहायक आयुक्त, देवस्थान विभाग के कार्यालय में मय मूल दस्तावेज स्वयं उपस्थित होकर प्रस्तुत करेंगे।
प्रस्तुतकर्ता अधिकारी संलग्न दस्तावेजों को मूल से मिलान कर, सही पाये जाने पर, इस आशय का नोट अंकित करेंगे।
उपखण्ड अधिकारी प्राप्त आवेदन पत्रों को 15 दिवस के अन्दर संबंधित सहायक आयुक्त, देवस्थान विभाग को अग्रेषित करेंगे, जो 15 दिवस में बाद जांच स्वीकृति जारी करेंगे। |
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राशि का भुगतान |
सहायता राशि का भुगतान आनलाईन बैंक अकाउन्ट में किया जायेगा। विभागीय स्थिति अनुसार बैंकर चेक/डिमाण्ड ड्राफ्ट (Account Payee) द्वारा किया जाएगा। |
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स्वीकृतिकर्ता अधिकारी |
समस्त सहायक आयुक्त, देवस्थान विभाग। (वृन्दावन के अतिरिक्त) |
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संपर्क सूत्र |
संबंधित उपखण्ड अधिकारी/सहायक आयुक्त, देवस्थान विभाग। |
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नोट:- |
उक्त विवरण केवल सरल संकेतक है। योजना संबंधी अन्य शर्तों, प्रावधानों के लिये मूल विभागीय आदेश व परिपत्रों का अवलोकन करें। विभाग द्वारा नियमों के अध्यधीन उपनियम बनाए जा सकेंगे।
योजना संबंधी किसी भी बिन्दु पर समस्या समाधान आयुक्त कार्यालय देवस्थान विभाग, उदयपुर से किया जा सकेगा।
इस योजना के किसी भी दिशा निर्देश, आदेश की व्याख्या के लिये देवस्थान विभाग राजस्थान सरकार का विनिश्चय अन्तिम होगा। |
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कैलाश मानसरोवर यात्रा तीर्थयात्रा का परिचय |
कैलाश मानसरोवर की यात्रा जिन धार्मिक मान्यताओं और सांस्कृतिक महत्वों के कारण जानी जाती है. वे अनेक धर्मों तक व्यापक हैं. हिन्दू परंपरा के अनुसार यह महादेव भगवान शिव का निवास भी है और मिथकों का सुमेरु एवं स्वर्गीय कल्पना का सेतु भी. जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव, जिनको आदिनाथ भी कहा जाता है, ने अपना मोक्ष कैलाश पर्वत पर ही पाया था. तिब्बत स्वयं में बौद्ध धर्म का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है और उनके वज्रयानी परंपरा के लिए यह न केवल सुमेरु है, अपितु पद्मसंभव और चक्रसंवर का स्थान है. तिब्बत के लोक धर्म वोन धर्म में यह मिलारेपा एवं नारो बोन चुंग नामक सिद्धों की कथा से भी जुड़ा है. इन सबके अतिरिक्त कैलाश पर्वत व मानसरोवर झील प्राकृतिक सुन्दरता में अप्रतिम हैं ही, जिनके दर्शन हर साल अनगिनत यात्री इस तीर्थ यात्रा पर जाते हैं।
भारत सरकार का विदेश मंत्रालय प्रत्येक वर्ष जून से सितंबर के दौरान दो अलग-अलग मार्गों- लिपुलेख दर्रा (उत्तराखण्ड), और नाथु-ला दर्रा (सिक्किम) से कैलाश यात्रा का आयोजन करता है। दोनों यात्राओं की अवधि एवं लागत राशि भी अलग-अलग है.
यह यात्रा बहुत दुर्गम भी है, जिसमें प्रतिकूल स्थितियों और खराब मौसम में ऊबड़-खाबड़ भू-भाग से होते हुए 19,500 फुट तक की चढ़ाई चढ़नी होती है और यह उन लोगों के लिए जोखिम भरी हो सकती है जो शारीरिक दृष्टि से स्वस्थ एवं तंदुरुस्त नहीं हैं। इस कारण यात्रा से पहले दिल्ली में डीएचएलआई और आईटीबीपी द्वारा की चिकित्सा जाँचों के बाद ही अनुमति दी जाती है.
कैलाश मानसरोवर की यात्रा विशेष विवरण भारत सरकार के विदेश मंत्रालय की वेबसाइट https://kmy.gov.in पर देखा जा सकता है. |