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योजना का नाम |
सिन्धु दर्शन तीर्थयात्रा योजना |
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योजना प्रारंभ वर्ष |
1 अप्रैल, 2016 से (2018 में आयु सीमा घटा कर 21 वर्ष की गई) |
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योजना का उद्देश्य व संक्षिप्त विवरण |
भारत के लद्दाख स्थित सिन्धु नदी की तीर्थयात्रा पर जाने वाला तीर्थयात्री को सहायता |
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तीर्थ यात्रा हेतु अनुदान राशि |
यात्रा पर हुए व्यय के 50 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति, अधिकतम 10,000/- प्रति तीर्थयात्री तक |
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योजना में कुल लाभार्थियों की विभागीय सीमा |
200 तीर्थयात्री
(तीर्थयात्रा हेतु अधिक आवेदक होने पर लॉटरी द्वारा चयन) |
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योजना की शर्तें/पात्रता |
(1) तीर्थयात्री राजस्थान का मूल निवासी हो।
(2) उम्र 21 वर्ष से कम न हो।
(3) भिक्षा वृति पर जीवन यापन करने वाला न हो।
(4) आयकरदाता न हो।
(5) केन्द्र सरकार/राज्य सरकार/केन्द्र व राज्य सरकार के उपक्रम/स्थानीय निकाय से सेवानिवृत्त कर्मचारी/अधिकारी नहीं हो।
नोटः- देवस्थान विभाग, राजस्थान द्वारा चयनित व्यक्ति ही योजना का लाभ प्राप्त करने का पात्र है। |
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आवेदन की प्रक्रिया |
आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन होगी, जिसकी तिथि विभागीय विज्ञप्ति अनुसार घोषित की जायेगी। सहायता अनुदान हेतु आवेदन-पत्र वांछित दस्तावेज सहित यात्रा करने के दो माह के अन्दर जमा कराना होगा।
ऑफलाइन की स्थिति में सहायता अनुदान हेतु आवेदन-पत्र विभागीय वेबसाइट से अपलोड कर सहायक आयुक्त कार्यालय देवस्थान विभाग में जमा कराना होगा। |
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आवेदन के साथ वांछित दस्तावेज |
- राजस्थान के मूल निवास प्रमाण पत्र की प्रमाणित फोटो प्रति।
- आधार कार्ड/ भामाशाह कार्ड की फोटो प्रति।
- यात्रा पर हुए वास्तविक व्यय का प्रमाण पत्र (टिकट, रसीदें इत्यादि)
- लद्दाख स्थित सरकारी विभाग/समाज के रजिस्टर्ड ट्रस्ट या गठित कमेटी का यात्रा करने का सत्यापित प्रमाण-पत्र।
- सिन्धु नदी पर सिन्धु दर्शन घाट के साथ आवेदकों की फोटो
- प्रशासन की ओर से खारदूंगला पास जाने के लिए जारी इनर लाईन परमिट की फोटो प्रति।
नोट- भामाशाह कार्ड की स्थिति में मूल निवास प्रमाण पत्र व जन्म प्रमाण-पत्र की अलग से आवश्यकता नहीं होगी. यात्रा राशि का पुनर्भरण करने हेतु आवेदक वहां प्रशासन की ओर से खारदूंगला पास जाने के लिए इनर लाईन परमिट आवश्यक रूप से प्राप्त कर लें। साथ ही वहां फोटो के रूप में वहाँ पर सिन्धु नदी पर सिन्धु दर्शन घाट के साथ फोटो खिंचा कर संलग्न करें। इनमें विभाग बिंदु 4 से 6 में विकल्प के रूप में शिथिलन हेतु प्रस्ताव अनुसार विचार कर सकेगा. |
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चयन व आवंटन की पक्रिया |
(1) राजस्थान के ऐसे व्यक्ति जिन्हें देवस्थान विभाग द्वारा चयनित व्यक्ति की सूची में स्थान पाते हुए उनके द्वारा लद्दाख स्थित सिन्धु दर्शन की यात्रा पूर्ण कर ली हो, तो उन्हें यात्रा उपरान्त यात्रा पर हुए वास्तविक व्यय का प्रमाण पत्र (टिकट, रसीदें इत्यादि) प्रस्तुत करना होगा और ऐसी यात्रा पर हुए 50 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति अधिकतम 10,000/- प्रति तीर्थ यात्री तक राज्य शासन द्वारा की जायेगी।
(2) अनुदान प्राप्त करने हेतु पात्र व्यक्ति अपने दावे निर्धारित प्रपत्र में प्रमाणित अभिलेख सहित ऑनलाइन/ ऑफलाइन यथास्थिति संबंधित सहायक आयुक्त को यात्रा समाप्ति के 30 दिवस की समयावधि में प्रस्तुत करेगा।
(3) निर्धारित तिथि तक प्राप्त प्रार्थना पत्रों एवं दस्तावेजों का सहायक आयुक्त देवस्थान द्वारा परीक्षण कर पात्र यात्रियों के आवेदन पत्र मय सूची आयुक्त, देवस्थान कार्यालय, उदयपुर को भिजवाये जायेंगे।
(4) यदि निर्धारित कोटे से अधिक संख्या में आवेदन प्राप्त होते हैं, तो लॉटरी (कम्प्यूटराईज्ड ड्रा आफ लॉट्स) द्वारा यात्रियों का चयन किया जायेगा।
(5) लॉटरी निकालते समय आवेदक के आवेदन के साथ उसकी पत्नी अथवा पति (यदि उनके द्वारा भी यात्रा कर ली हो) को एक मानते हुए लॉटरी निकाली जायेगी एवं लॉटरी में चयन होने पर दोनों अनुदान के पात्र होंगे। यदि निर्धारित संख्या से अधिक आवेदक आ गए, तो एक परिवार से अधिकतम 3 व्यक्तियों को पात्र माना जायेगा.
(6) जीवन काल में केवल एक बार अनुदान प्राप्त करने की पात्रता होगी।
आवेदन सामान्यतः दो चरणों में लिए जायेंगे-
प्रथम चरण- 1 जुलाई से 30 जुलाई तक
द्वितीय चरण- 1 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक.
द्वितीय चरण तभी खोला जायेगा, जब प्रथम चरण में निर्धारित संख्या से कम आवेदक आएंगे. यदि प्रथम चरण में निर्धारित संख्या से अधिक आवेदक आ गए, तो उसी समय लॉटरी निकाल कर प्रक्रिया समाप्त कर ली जाएगी. |
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राशि का भुगतान |
सहायता राशि का भुगतान ऑनलाइन बैंक अकाउन्ट में किया जायेगा। विभागीय स्थिति अनुसार बैंकर चेक/डिमाण्ड ड्राफ्ट (Account Payee) द्वारा भी भुगतान किया जाएगा। |
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स्वीकृतिकर्ता अधिकारी |
समस्त सहायक आयुक्त, देवस्थान विभाग। (वृन्दावन के अतिरिक्त) |
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संपर्क सूत्र |
संबंधित सहायक आयुक्त, देवस्थान विभाग। |
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नोट:- |
उक्त विवरण केवल सरल संकेतक है। योजना संबंधी अन्य शर्तों, प्रावधानों के लिये मूल विभागीय आदेश व परिपत्रों का अवलोकन करें। विभाग द्वारा नियमों के अध्यधीन उपनियम बनाए जा सकेंगे।
योजना संबंधी किसी भी बिन्दु पर समस्या समाधान आयुक्त कार्यालय देवस्थान विभाग, उदयपुर से किया जा सकेगा।
इस योजना के किसी भी दिशा निर्देश, आदेश की व्याख्या के लिये देवस्थान विभाग राजस्थान सरकार का विनिश्चय अन्तिम होगा। |
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सिन्धु दर्शन तीर्थयात्रा का परिचय |
सिन्धु दर्शन तीर्थयात्रा योजना जम्मू-कश्मीर राज्य के लेह-लद्दाख में सिन्धु नदी तक यात्रा का कार्यक्रम है। वहां राज्य सरकार द्वारा सामान्यतः गुरु पूर्णिमा के निकट जून माह के आस-पास सिन्धु दर्शन उत्सव भी मनाया जाता है। वर्ष 2018 में उत्सव की तिथि 23-26 जून है. इस यात्रा का उद्देश्य यात्रियों को भारत के उत्तरी सीमान्त क्षेत्र में सिन्धु संस्कृति से परिचित कराना है।
जम्मू और कश्मीर राज्य सरकार द्वारा आयोजित होने वाला "सिंधु दर्शन उत्सव" हर वर्ष जून में तीन दिनों तक चलता है. अतः इस समय यात्रा में वहाँ होने वाले धार्मिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन का अतिरिक्त आनंद लिया जा सकता है. सिंधु दर्शन उत्सव सिंधु नदी और सैंधव संस्कृति का उत्सव है, साथ ही यह सांप्रदायिक सौहार्द और भारत की एकता के प्रतीक के रूप में आयोजित होता है। इस दौरान बड़ी संख्या में विदेशी और घरेलू पर्यटकों का आगमन होता है, अतः पहले से बुकिंग कराना उचित होता है. लेह में रुकने की सुविधा हेतु अनेक होटल एवं विश्राम गृह उपलब्ध होते है।
सिन्धु दर्शन का यात्रा मार्ग दो राज्यों से होकर गुजरता है - जम्मू और कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश। इसमें सामान्यतः एक रूट से जाने वाले यात्री वापसी में दूसरे रूट से लौटना पसन्द करते हैं। अधिकांश लोग हिमाचल स्थित मनाली से होते हुए जाते हैं और वापसी में कश्मीर के कारगिल से होते हुए लौटते हैं। पूरी यात्रा यदि सड़क मार्ग से की जाये, तो न्यूनतम 8-10 दिन का समय लगता है। यह यात्रा सामान्यतः केवल जून से सितम्बर तक हो पाती है, क्योंकि शीतकाल में स्नो-फॉल से सड़क रूट बन्द होने के बाद ग्रीष्मकाल में 20 मई के उपरान्त ही खुलता है।
यहां उल्लेखनीय है कि सिन्धु दर्शन के लिए लद्दाख क्षेत्र में लेह जाने वाले यात्री हवाई जहाज या सड़क मार्ग से ही जा सकते हैं। यदि कोई ट्रेन से जाये, तो वह जम्मू/कटरा, कश्मीर या चण्डीगढ़ तक ही जा सकता है।
नोट- सिन्धु दर्शन तीर्थयात्रा परिचय की उपरोक्त सूचना केवल सरल सुविधा के लिए है, इसमें यात्री अपने विवेक के अनुसार मार्ग, समय व सुविधा का चयन करें. सिन्धु दर्शन का यात्रा मार्ग व पहुँच स्टेशन समय की सुविधा अनुसार बदल सकते हैं. इसी प्रकार "सिंधु दर्शन उत्सव" जम्मू और कश्मीर राज्य सरकार द्वारा आयोजन पर निर्भर करता है. |