Devasthan Department, Rajasthan

     
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हिंदू परंपरा के अनुसार कुछ प्रमुख तीर्थों-धामोंकी श्रेणियाँएवं सूची

सूत्र :-

भारतीय संस्कृति में अनेक धार्मिक एवं दार्शनिक ग्रंथों को सूत्र के रूप में व्यक्त करने की परंपरा रही है. सामान्य अर्थ में सूत्र का शाब्दिक अर्थ धागा या रस्सी होता है। परंतु एक पारिभाषिक शब्द के रूप में सूत्र साहित्य में छोटे-छोटे किन्तु सारगर्भित वाक्य होते हैं जो आपस में भलीभांति जुड़े होते हैं। इनमें प्रायः पारिभाषिक एवं तकनीकी शब्दों का निदर्शन किया जाता है, ताकि गूढ से गूढ बात भी संक्षेप में किन्तु स्पष्टता से कही जा सके। प्राचीन काल में सूत्र साहित्य का महत्व इसलिये था कि अधिकांश ग्रन्थ कंठस्थ किये जाने के ध्येय से रचे जाते थे; अतः इनका संक्षिप्त होना विशेष उपयोगी था। चूंकि सूत्र अत्यन्त संक्षिप्त होते थे, कभी-कभी इनका अर्थ समझना कठिन हो जाता था। इस समस्या के समाधान के रूप में अनेक सूत्र ग्रन्थों के  भाष्य  भी लिखने की प्रथा प्रचलित हुई। भाष्य, सूत्रों की व्याख्या करते थे।

धर्म अर्थ काम और मोक्ष सभी पुरुषार्थों से जुड़े विषयों पर सूत्रात्मक ग्रंथ लिखे गए. वेदो के अंग के रुप में प्रसिद्ध वेदांग में अधिकांश ग्रंथ सूत्र रूप में मिल जाते हैं, कुल छह वेदांगों में से तीन (शिक्षा, व्याकरण व कल्प) में सूत्रों के रूप में ग्रंथों का विशेष प्रणयन हुआ है. विशेषतया व्याकरण में पाणिनि की अष्टाध्यायी ग्रंथों में सर्वाधिक संक्षिप्त शैली का चरम दृष्टांत है इसमें भी आधारभूत रहे माहेश्वर सूत्र संभवत सूत्रों के भी सूत्र होने का परम निदर्शन है.

तीन वेदांगों के सूत्रों का विवरण निम्नानुसार है-

शिक्षा सूत्र

व्याकरण सूत्र- (अष्टाध्यायी - पाणिनि द्वारा रचित व्याकरण का सूत्र ग्रन्थ)

कल्प सूत्र-

  • श्रौत सूत्र - यज्ञ करने से सम्बन्धित
  • गृह्य सूत्र - घरेलू जीवन से सम्बन्धित
  • शुल्ब सूत्र- यज्ञशाला का शिल्प
  • धर्मसूत्र
  • स्मार्त सूत्र

भारतीय दार्शनिक परंपरा में आस्तिक दर्शनों में निम्न सूत्र प्राप्त होते हैं

  • योग सूत्र ( पतंजलि रचित)
  • सांख्य सूत्र (कपिल के अनुयायी द्वारा रचित प्राप्त)
  • न्याय सूत्र (गोतम रचित)
  • वैशेषिक सूत्र (कणादरचित)
  • मीमांसा सूत्र (जैमिनि रचित)
  • ब्रह्मसूत्र या वेदान्त सूत्र - (बादरायण रचित)

परंपरागत वैदिक दर्शनों से भिन्न अन्य दर्शनों में भी सूत्र ग्रंथ होने अथवा रहे होने के साक्ष्य हैं-

  • बौद्ध धर्म में सूत्र पिटक प्रसिद्ध हैं.
  • जैन दर्शन में भी छेदि सूत्र और नंदी सूत्रों का वर्णन मिलता है.
  • लोकायत दर्शन के रूप में प्रसिद्ध चार्वाक के भी कतिपय सूत्र हमें मिल जाते हैं.
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