Devasthan Department, Rajasthan

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Devasthan Service Rules, 2000 Hindi

राजस्थान राज-पत्र
विशेषांक

Regd. No. RJ.33/97
RAJASTHANGAZETTE
Extraordinary

साधिकार प्रकाशित

Published by Authority

आश्विन 1, शनिवार, शाके 1922 - सितम्बर 23, 2000
Ashvin 1, Saturday, Saka 1922- September 23, 2000

भाग 4 (ग)
उपखण्ड (1)
राज्य सरकार तथा अन्य राज्य - अधिकारियों द्वारा जारी किये गये
(सामान्य आदेशों, उप-विधियों आदि को सम्मिलित करते हुए ) सामान्य कानूनी नियम ।
कार्मिक (क-2) विभाग
अधिसूचना
जयपुर, सितम्बर 22, 2000

जी0एस0आर0 55- भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के परन्तुक द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुये, राजस्थान के राज्यपाल, राजस्थान देवस्थान राज्य और अधीनस्थ सेवा में के पद (पदों) पर भर्ती तथा उसमें नियुक्त व्यक्तियों की सेवा की शर्तें विनियमित करने के लिये, इसके द्वारा निम्नलिखित नियम बनाते हैं, अर्थात्-

राजस्थान देवस्थान राज्य और अधीनस्थ सेवा नियम, 2000

भाग-1

सामान्य  

1.    संक्षिप्त नाम तथा प्रारंभ: - (I) इन नियमों का नाम राजस्थान देवस्थान राज्य और अधीनस्थ सेवा नियम, 2000 है ।

(II) ये राजस्थान राज-पत्र में प्रकाशित होने की तारीख से प्रवृत्त होंगे ।

2.    परिभाषाएं :- जब तक संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, इन नियमों में, -

(क) ‘‘नियुक्ति प्राधिकारी‘‘ से राज्य सेवा में सम्मिलित पदों के संबंध में सरकार और कोई ऐसा अन्य अधिकारी अभिप्रेत है जिसे ऐसी शर्त पर, जो वह उचित समझे, सरकार द्वारा विशेष या सामान्य आदेश द्वारा इस निमित्त शक्तियां प्रत्यायोजित की जाये और अधीनस्थ सेवा में सम्मिलित पदों के संबंध में आयुक्त, देवस्थान अभिप्रेत है और इसमें ऐसा अन्य अधिकारी या प्राधिकारी भी सम्मिलित है जो सरकार के अनुमोदन से नियुक्ति प्राधिकारी के कृत्यों के पालन तथा शक्तियों का प्रयोग करने के लिये विशेष रूप से आयुक्त द्वारा सशक्त किया जाये ।
(ख)  ‘‘आयोग‘‘ से राजस्थान लोक सेवा आयोग अभिप्रेत है ।
(ग)   ‘‘समिति‘‘ से नियम -27 के अधीन गठित कोई समिति अभिप्रेत है ।
(घ)   ‘‘आयुक्त‘‘ से आयुक्त, देवस्थान, राजस्थान, अभिप्रेत है ।
(ड)   ‘‘विभाग‘‘ से देवस्थान विभाग, राजस्थान अभिप्रेत है ।
(च)   ‘‘सीधी भर्ती‘‘ से इन नियमों के भाग-IV में विहित प्रक्रिया के अनुसार की गई भर्ती अभिप्रेत है ।
(छ)   ‘‘सरकार" से राजस्थान सरकार अभिप्रेत है ।
(ज)   ‘‘सेवा का सदस्य‘‘ से इन नियमों के या इन नियमों द्वारा अधिष्ठित नियमों का आदेशों के उपबन्धों के अधीन सेवा में के किसी पद पर अधिष्ठायी रूप से नियुक्त व्यक्ति अभिप्रेत है और इसमें परिवीक्षा पर रखा गया व्यक्ति भी सम्मिलित है ।
(झ)   ‘‘अनुसूची" से इन नियमों से संलग्न अनुसूची (अनुसूचियां) अभिप्रेत है ।
(त्र)   ‘‘सेवा‘‘ से राजस्थान देवस्थान राज्य सेवा और, यथास्थिति, राजस्थान देवस्थान अधीनस्थ सेवा, अभिप्रेत है ।
(ट)   ‘‘अधिष्ठायी नियुक्ति‘‘ से इन नियमों के अधीन विहित भर्ती की किसी भी रीति से सम्यक् चयन किया जाकर किसी अधिष्ठायी रिक्ति पर इन नियमों के उपबन्धों के अधीन की गयी नियुक्ति अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत परिवीक्षा पर या परिवीक्षाधीन के रूप में की गई ऐसी नियुक्ति भी आती है, जिस पर परिवीक्षा की कालावधि की समाप्ति के पश्चात् स्थायीकरण किया जाना हो ;

टिप्पणी- इन नियमों के अधीन भर्ती की किसी भी विहित रीति से सम्यक् चयन के अन्तर्गत, अर्जेन्ट अस्थायी नियुक्ति को छोड़कर, सेवा के प्रारम्भिक गठन पर की गई अथवा भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के परन्तुक के अधीन प्रख्यापित किन्हीं नियमों के उपबन्धों के अनुसार की गयी भर्ती भी सम्मिलित होगी ।
(ठ)   ‘‘सेवा‘‘ या ‘‘अनुभव‘‘ में जहां कहीं भी उच्चतर पद पर पदोन्नति के लिये पात्र किसी निम्नतर पद को धारण करने वाले व्यक्ति की एक सेवा से दूसरी सेवा में अथवा सेवा में के एक प्रवर्ग से दूसरे प्रवर्ग में या वरिष्ठ पद (पदों) पर, पदोन्नति के लिये एक शर्त के रूप में इन नियमों में विहित हो तो इसमें वह कालावधि सम्मिलित होगी जिसके दौरान ऐसे व्यक्ति ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के परन्तुक के अधीन प्रख्यापित नियमों के अनुसार नियमित चयन के पश्चात् ऐसे निम्नतर पद/पदों पर निरन्तर कार्य किया हो ।

टिप्पणीः- सेवा के दौरान की ऐसी अनुपस्थितियां उदाहरणार्थ प्रशिक्षण, छुट्टी और प्रतिनियुक्ति इत्यादि भी जो राजस्थान सेवा नियम, 1951 के अधीन ‘‘ड्यूटी‘‘के रूप में मानी गई है, पदोन्नति के लिये अपेक्षित अनुभव या सेवा की संगणना करने के लिये सेवा के रूप में गिनी जायेगी ।
(ड)   ‘‘राज्य‘‘ से राजस्थान राज्य अभिप्रेत है; और
(ढ)   ‘‘वर्ष‘‘ से 1 अप्रैल को आरम्भ होने वाला और 31 मार्च को समाप्त होने वाला वित्तीय वर्ष अभिप्रेत है ।

3.    निर्वचन :- जब तक संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, राजस्थान साधारण खण्ड अधिनियम, 1955 (1955 का राजस्थान अधिनियम संख्या VIII) इन नियमों के निर्वचन के लिये उसी प्रकार लागू होगा जिस प्रकार वह किसी राजस्थान अधिनियम के निर्वचन के लिये लागू होता है ।

भाग-II

संवर्ग  

4.    सेवा की संरचना एवं उसमें पदों की संख्या :- (1) सेवा में के प्रत्येक प्रवर्ग में सम्मिलित पद (पदों) की प्रकृति ऐसी होगी जैसी अनुसूची I और, यथास्थिति, अनुसूची II के स्तम्भ 2 में विनिर्दिष्ट है।
(2)   सेवा में के पदों की संख्या उतनी होगी जितनी सरकार द्वारा समय-समय पर अवधारित की जाये, परन्तु यह कि सरकार,  

(क)   आवश्यक प्रतीत होने पर, कोई भी स्थायी या अस्थायी पद समय-समय पर सृजित कर सकेगी और उसी रीति से ऐसे किसी पद (पदों) को किसी व्यक्ति को कोई प्रतिकर पाने का हकदार बनाये बिना समाप्त कर सकेगी, और
(ख)  किसी स्थायी या अस्थायी पद को, किसी व्यक्ति को कोई प्रतिकार पाने का हकदार बनाये बिना समय-समय पर खाली या प्रास्थगित रख सकेगी या समाप्त कर सकेगी ।

5.    सेवा का गठन :-  सेवा में निम्नलिखित होंगे :-

(क)   इन नियमों के प्रारम्भ होने की तारीख को अनुसूची -I और II में विनिर्दिष्ट पद (पदों) को अधिष्ठायी रूप से धारण करने वाले समस्त व्यक्ति ;
(ख) इन नियमों के प्रारम्भ होने के पूर्व सेवा में सम्मिलित पद (पदों) पर भर्ती किये गये समस्त व्यक्ति; और
(ग)   नियम 31 के अधीन, अर्जेन्ट अस्थायी नियुक्ति को छोडकर, इन नियमों के उपबन्धों के अनुसार सेवा में भर्ती किये गये समस्त व्यक्ति ।

भाग -III

भर्ती  

6.    भर्ती की रीतिः (1)  इन नियमों के प्रारम्भ होने के पश्चात् सेवा में के पद (पदों) पर भर्ती अनुसूची -I और, यथास्थिति, अनुसूची II के स्तम्भ 3 और 4 में उपदर्शित अनुपात निम्नलिखित रीतियों से की जायेगी :-

(क)   इन नियमों के भाग -IV में विहित प्रक्रिया के अनुसार सीधी भर्ती द्वारा
(ख)  इन नियमों के भाग- V में विहित प्रक्रिया के अनुसार पदोन्नति द्वारा,

परन्तुक यह कि -

(i)   सहायक आयुक्त और निरीक्षक ग्रेड-II का पद राजस्थान राज्य एवं अधीनस्थ सेवा (संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा द्वारा सीधी भर्ती) नियम, 1999 के उपबन्धों के अनुसार आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से सीधी भर्ती द्वारा भरा जायेगा ।
(ii)   यदि आयोग से परामर्श करके, जहां परामर्श करना आवश्यक हो नियुक्ति प्राधिकारी का समाधान हो जाये कि किसी वर्ष विशेष में भर्ती की किसी एक रीति से नियुक्ति के लिये उपयुक्त व्यक्ति उपलब्ध नहीं है तो नियुक्ति विहित अनुपात को शिथिल करते हुये दूसरी रीति से उसी प्रकार की जा सकेगी जो इन नियमों में विनिर्दिष्ट है ।
(iii)  नियम 5 के अन्तर्गत न आने वाले ऐसे व्यक्ति जो अनुसूची -I और II में सम्मिलित पद (पदों) पर तदर्थ या स्थानापन्न या अर्जेन्ट अस्थायी आधार पर नियुक्त किये गये थे और जिन्होंने इन नियमों के प्रारम्भ होने की तारीख को ऐसे पद (पदों) को कम से कम एक वर्ष तक लगातार धारण किया हो, धारित पद (पदों) पर उनकी उपयुक्तता विनिर्मित करने के लिये नियम 27 में निर्दिष्ट समिति द्वारा स्क्रीन किये जायेंगे, बशर्ते कि वे इन नियमों में सीधी भर्ती या पदोन्नति हेतु विहित अपेक्षित अर्हताएं रखते हों या ऐसी विहित अर्हताएं रखते हों, जिनके आधार पर ऐसे व्यक्तियों का तदर्थ/स्थानापन्न/अर्जेण्ट अस्थायी नियुक्ति के लिये चयन किया गया था । यह उपबंध निम्नलिखित शर्तों के अध्यधीन होगा, अर्थात :-

(क)   तदर्थ/स्थानापन्न/अर्जेन्ट अस्थायी आधार पर नियुक्त व्यक्ति उस पद से जिस पर वह प्रारंभ में नियुक्त किया गया था उच्चतर के पद के लिये स्क्रीन किए जाने का हकदार नहीं होगा, यदि किसी निचले पद पर उससे वरिष्ठ व्यक्ति को, जो उस पद के लिये विहित अर्हताएं पूरी करता हो, या तो ऐसी तदर्थ नियुक्ति न दी गई हो या वह इस नियम के अधीन स्क्रीन किये जाने का हकदार न हो । इस प्रयोजन के लिये वरिष्ठता का अवधारण किसी पद पर निरन्तर सेवा की अवधि के अनुसार किया जायेगा ।
(ख)  यह कि भर्ती को सामान्य रीतियों के अपवाद स्वरूप या सेवा के प्रारंभिक गठन पर, इन नियमों के अधीन उपयुक्तता विनिर्णीत करने हेतु नियुक्त समिति ने, यदि उक्त कर्मचारियों में से किसी ऐसे कर्मचारी को जिसने उक्त पद पर, जिसके लिए उसका स्क्रीनिंग किया जाये तीन वर्ष से अधिक की सेवा कर ली हो, उपयुक्त विनिर्णीत न किया हो और यदि इसके बाद उसको किसी निचले पद पर नियुक्त होने का अधिकार भी न हो तो समिति उसे निचला पद आमेलन द्वारा दिये जाने के अनुग्रह के रूप में सिफारिश कर सकेगी और इसके पश्चात ऐसा कर्मचारी राजस्थान सिविल सेवा (अधिशेष कार्मिकों का आमेलन) नियम, 1969 के उपबन्धों के अनुसार अधिशेष कर्मचारी माना जायेगा और ऐसे कर्मचारी को समिति की सिफारिश पर ऐसी शर्तों के अध्यधीन जो इसके द्वारा अधिकथित की जायें, निचले पद पर आमेलित किया जा सकेगा ।

टिप्पणी :- उपयुक्त परन्तुक (II) के अधीन स्क्रीन का उपबन्ध प्रथम चरण के रूप में आशयित है और सीधी भर्ती तथा पदोन्नति कोटा का विचार किए बिना, स्क्रीन किये गये व्यक्तियों के लिये अपेक्षित रिक्तियों के निःशेष होने के पश्चात सीधी भर्ती और पदोन्नति कोटा लागू होगा ।
(iv) उपायुक्त के कुल काडर पदों के 50 प्रतिशत पद वरिष्ठ वेतन मान वाले राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों में से भरे जायेंगे ।

(2)   उपर्युक्त तरीकों से सेवा में भर्ती ऐसी रीति से की जायेगी कि प्रत्येक तरीके से सेवा में नियुक्त किये गये व्यक्ति (व्यक्तियों) का प्रतिशत किसी भी समय नियमों/अनुसूचियों में अधिकथित प्रत्येक प्रवर्ग के लिये समय-समय पर स्वीकृत कुल संवर्ग संख्या के प्रतिशत से अधिक न हों ।
(3)   इन नियमों में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, आपात काल के दौरान थल सेना/वायु सेना/ नौ सेना में पद ग्रहण करने वाले व्यक्ति की भर्ती, नियुक्ति, पदोन्नति, वरिष्ठता और स्थायीकरण आदि ऐसे आदेशों और अनुदेशों द्वारा विनियमित होंगे जो सरकार द्वारा समय-समय पर जारी किये जायें, बशर्ते कि ये भारत सरकार द्वारा इस विषय में जारी किये गये अनुदेशों के अनुसार यथावश्यक परिवर्तनों सहित विनियमित किये जायें ।

7. अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिये रिक्तियों का आरक्षण :-

(1) अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए रिक्तियों का आरक्षण सरकार के ऐसे आरक्षण संबंधी आदेशों के अनुसार होगा जो भर्ती के समय प्रवृत्त हों, चाहे भर्ती सीधी हो या पदोन्नति द्वारा ।
(2) पदोन्नति के लिए इस प्रकार आरक्षित की गयी रिक्तियां वरिष्ठता एवं योग्यता और योग्यता के आधार पर भरी जायेगी ।
(3) इस प्रकार आरक्षित की गयी रिक्तियों को भरने के लिए उन पात्र अभ्यर्थियों के संबंध में, जो अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के सदस्य हैं, दूसरे अभ्यर्थियों की तुलना में उनका रेंक कौन सा है इसका विचार किए बिना उसी क्रम में नियुक्ति के लिए विचार किया जायेगा जिस क्रम में उनके नाम, सीधी भर्ती के लिये प्रयोग के क्षेत्र में आने वाले पदों के लिये आयोग द्वारा और अन्य मामलों में नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा और पदोन्नत होने वाले व्यक्तियों के मामले में, समिति, या यथास्थिति, नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा तैयार की गयी सूची में दिये गये हैं ।
(4) नियुक्तियां सर्वथा सीधी भर्ती तथा पदोन्नति के लिए विहित अलग-अलग रोस्टरों के अनुसार की जायेगी । किसी वर्ष विशेष में अनुसूचित जातियों और यथास्थिति अनुसूचित जनजातियों के पात्र तथा उपयुक्त अभ्यर्थी उपलब्ध न होने की दशा में उनके लिए इस प्रकार आरक्षित की गई रिक्तियों को सामान्य प्रक्रिया के अनुसार भर लिया जायेगा तथा पश्चात्वर्ती वर्ष में उतनी ही संख्या में अतिरिक्त रिक्तियां आरक्षित की जायेंगी । ऐसी बिना भरी गई रिक्तियों को कुल मिलाकर पश्चातवर्ती तीन भर्ती वर्षों तक अग्रनीत किया जायेगा और इसके पश्चात ऐसा आरक्षण समाप्त हो जायेगा :-
परन्तु सेवा के किसी संवर्ग में के पद (पदों) या पद (पदों) के वर्ग/प्रवर्ग/ग्रुप की रिक्तियों को, जिन पर इन नियमों के अधीन केवल योग्यता के आधार पर पदोन्नतियां की जाती है, अग्रनीत नहीं किया जायेगा ।

8.    अन्य पिछड़े वर्गों के लिये रिक्तियों का आरक्षण :-अन्य पिछड़े वर्गों के लिए रिक्तियों का आरक्षण सीधी भर्ती के समय प्रवृत्त ऐसे आरक्षण के लिए सरकार के आदेशों के अनुसार होगा । किसी वर्ष विशेष में अन्य पिछड़े वर्गों के पात्र तथा उपयुक्त अभ्यर्थी उपलब्ध न होने की दशा में उनके लिए इस प्रकार आरक्षित रिक्तियों को सामान्य प्रक्रिया के अनुसार भर लिया जायेगा ।

9.    महिला अभ्यर्थियों के लिए रिक्तियों का आरक्षण :- सीधी भर्ती में महिला अभ्यर्थियों के लिए रिक्तियों का आरक्षण प्रवर्गानुसार 30% होगा । किसी वर्ष विशेष में पात्र तथा उपयुक्त महिला अभ्यर्थियों के उपलब्ध न होने की दशा में, इनके लिए इस प्रकार आरक्षित रिक्तियां पुरुष अभ्यर्थियों से भरी जायेंगी और ऐसी रिक्तियां पश्चात्वर्ती वर्ष के लिये अग्रनीत नहीं की जायेगी और आरक्षण को क्षैतिज आरक्षण माना जायेगा अर्थात् महिला अभ्यर्थियों का आरक्षण उस संबंधित प्रवर्ग में जिसकी वे महिलाएं अभ्यर्थी हैं आनुपातिक रूप में समायोजित किया जायेगा ।

10.   उत्कृष्ट खिलाड़ियों के लिए रिक्तियों का आरक्षण :- उत्कृष्ट खिलाड़ियों के लिये रिक्तियों का आरक्षण सीधी भर्ती के लिए उस वर्ष चिन्हित आयोग के कार्य क्षेत्र के बाहर की कुल रिक्तियों का 2 % होगा । किसी वर्ष विशेष में पात्र तथा उपयुक्त खिलाड़ियों के उपलब्ध न होने की दशा में उनके लिए इस प्रकार आरक्षित रिक्तियां सामान्य प्रक्रिया के अनुसार भरी जायेंगी और ऐसी रिक्तियां पश्चातवर्ती वर्ष के लिये अग्रनीत नहीं की जायेंगी । खिलाड़ियों के लिये आरक्षण क्षैतिज आरक्षण माना जायेगा और इसका समायोजन उस संबंधित प्रवर्ग में किया जायेगा जिससे खिलाड़ी संबद्ध है ।

स्पष्टीकरण :- ‘‘उत्कृष्ट खिलाड़ियों‘‘से अभिप्रेत है और इसमें सम्मिलित है राज्य के ऐसे खिलाड़ी जिन्होंने अन्तरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति और भारतीय ओलंपिक संघ द्वारा मान्यता प्राप्त स्पोर्ट्स और खेलों में या, बैडमिन्टन, टेनिस, शतरंज और क्रिकेट में उनसे संबंधित राष्ट्रीय स्तर के संघ, फैडरेशन या बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त अन्तरराष्ट्रीय चैम्पियनशिपों में, सिविल सेवाओं के प्रत्येक वर्ग के लिए निम्नलिखित विवरणानुसार, व्यक्तिश: या टीम के सदस्य के रूप में भाग लिया होः-

सेवा का वर्ग

विवरण

अधीनस्थ सेवा

एशियाई खेलों, एशियाई चैम्पियनशिपों, राष्ट्रमण्डल खेलों, विश्व चैम्पियनशिपों, विश्व के विश्वविद्यालयों खेलों, विश्व स्कूल खेलों, दक्षेस खेलों या औलम्पिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया हो, जहां उसने (किसी व्यक्तिगत आईटम में) या उसकी टीम ने (टीम स्पर्धा में) प्रथम द्वितीय या तृतीय स्थान प्राप्त किया हो ।

11.   राष्ट्रीयता :- सेवा में नियुक्ति के अभ्यर्थी के लिये आवश्यक है कि वह :-
     (क)   भारत का नागरिक हो, या
     (ख)  नेपाल का प्रजा जन हो, या
     (ग)   भूटान का प्रजा जन हो, या
     (घ)   भारत में स्थायी रूप से बसने के आशय से 1 जनवरी, 1962 से पूर्व आया हुआ तिब्बती शरणार्थी हो या      (ड)   भारतीय उद्भव का व्यक्ति हो जो भारत में स्थायी रूप से बसने के आशय से पाकिस्तान, वर्मा, श्रीलंका और पूर्वी अफ्रीका के देश कीनिया, युगाण्डा तथा तनजानिया गणतंत्र (पूर्ववर्ती टागानिका और जंजीबार) जाम्बिया, मालावी, जेरे और इथियोपिया से आया हो ;

परन्तुक (ख), (ग), (घ) और (ड.) प्रवर्गो का कोई अभ्यर्थी ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जिसके हक में भारत सरकार ने पात्रता प्रमाण-पत्र दे दिया हो ।
ऐसे अभ्यर्थी को, जिसके मामले में पात्रता प्रमाण पत्र आवश्यक है, आयोग या अन्य किसी भर्ती प्राधिकारी द्वारा संचालित किसी परीक्षा में बैठने दिया जा सकेगा या साक्षात्कार के लिए बुलाया जा सकेगा तथा उसे भारत सरकार द्वारा आवश्यक प्रमाण पत्र दिये जाने के अध्यधीन अनन्तिम तौर पर नियुक्त भी किया जा सकेगा ।

12.   अन्य देशों से भारत में आये व्यक्तियों की पात्रता की शर्तें :- इन नियमों में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, सेवा में भर्ती की पात्रता हेतु राष्ट्रीयता, आयु सीमा और फीस या अन्य रियासतों संबंधी उपबन्ध ऐसे व्यक्ति के बारे में जो भारत में स्थाई रूप से बसने के आशय से अन्य देशों से भारत में आया हो, ऐसे आदेशों और अनुदेशों द्वारा विनियमित होंगे जो राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर जारी किये जायें और ऐसे आदेशों को भारत सरकार द्वारा इस विषय में जारी किये गये अनुदेशों के अनुसार यथावश्यक परिवर्तनों सहित विनियमित किया जायेगा ।

13.   रिक्तियों का अवधारण :-
(1) इन नियमों के उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुए, नियुक्ति प्राधिकारी प्रतिवर्ष पहली अप्रैल को वर्ष के दौरान होने वाली रिक्तियों की वास्तविक संख्या अवधारित करेगा ।
(2)   जहां कोई पद अनुसूची –I और, यथास्थिति, अनुसूची-II में यथा विहित किसी एक रीति से भरा जाना हो वहां इस प्रकार अवधारित रिक्तियां उसी रीति से भरी जायेंगी ।
(3)   जहां कोई पद अनुसूची -I और यथास्थिति, अनुसूची-II में यथा विहित एक से अधिक रीतियों से भरा जाना हो, यहां उपयुक्त उपनियम (1) के अधीन अवधारित रिक्तियों का प्रभाजन पूर्व में भरे गये पदों की सम्पूर्ण संख्या के लिए विहित अनुपात को बनाए रखते हुये ऐसी प्रत्येक रीति के लिए किया जायेगा । यदि उपर्युक्त विहित तरीके से रिक्तियों के प्रभाजन के पश्चात रिक्तियों का कोई भाग रहे जाये तो इसे पदोन्नति कोटे को अधिमान देते हुए निरन्तर चक्रीय क्रम के लिए विहित विभिन्न रीतियों के कोटे में विभाजित किया जायेगा ।
(4)   नियुक्ति प्राधिकारी पिछले वर्षों की रिक्तियों को भी, जिन्हें पदोन्नति, द्वारा भरा जाना था, वर्षवार अवधारित करेगा यदि ऐसी रिक्तियां पहले अवधारित न की गई हों और उस वर्ष जिसमें उनका भरा जाना अपेक्षित था, भरी न गई हों ।

14.   आयु :- सेवा में के किसी पद (पदों) पर सीधी भर्ती हेतु कोई अभ्यर्थी आवेदन-पत्रों की प्राप्ति के लिए नियत अंतिम तारीख के ठीक बाद आने वाले जनवरी माह के प्रथम दिन को राज्य सेवा के पद (पदों) के लिए 21 वर्ष की आयु तथा अधीनस्थ सेवा के पद (पदों) के लिए 18 वर्ष की आयु प्राप्त किया हुआ होना चाहिए किन्तु 33 वर्ष की आयु प्राप्त किया हुआ नहीं होना चाहिये ;

परन्तु-

(1)   महिला अभ्यर्थियों और अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के अभ्यार्थियों के मामले में ऊपरिवर्णित अधिकतम आयु सीमा में 5 वर्ष तक की छूट दी जायेगी ;
(2)   ऊपरिवर्णित अधिकतम आयु सीमा उस भूतपूर्व कैदी के मामले में लागू नहीं होगी जो अपनी दोषसिद्धि से पूर्व सरकार के अधीन किसी पद पर अधिष्टायी रूप से सेवा कर चुका था और इन नियमों के अधीन नियुक्ति का पात्र था ;
(3)   अन्य भूतपूर्व कैदी के मामले में, उपरिवर्णित अधिकतम आयु सीमा में उसके द्वारा भुक्त कारावास की अवधि के बराबर की अवधि तक की छूट दी जायेगी बशर्ते कि वह दोष सिद्धि से पूर्व अधिकायु नहीं था तथा इन नियमों के अधीन नियुक्ति का पात्र था ;
(4)   सेवा में कि पद पर अस्थायी रूप से नियुक्त व्यक्तियों की आयु सीमा में ही समझा जायेगा यदि वे प्रारंभिक नियुक्ति के समय आयु सीमा में थे चाहे उन्होंने आयोग/नियुक्ति प्राधिकारी के समक्ष अंतिम रूप से उपस्थित होने के समय आयु सीमा पार कर ली हो और यदि वे अपनी प्रारंभिक नियुक्ति के समय उपर्युक्त रूप से आयु सीमा में थे तो उन्हें दो अवसर अनुज्ञात किये जायेंगे ।
(5)   एन0सी0सी0 कैडेट प्रशिक्षकों के मामले में उपरिवर्णित अधिकतम आयु सीमा में उनके द्वारा एन0 सी0सी0 में की गयी सेवा की कालावधि के बराबर छूट दी जायेगी और यदि पारिणामिक आयु विहित न्यूनतम आयु सीमा से 3 वर्ष से अधिक न हो तो उन्हें विहित आयु सीमा में ही समझा जायेगा ;
(6)   राज्य के कार्यकलापों के संबंध में अधिष्ठायी तौर से सेवा कर रहे व्यक्तियों के मामले में अधिकतम आयु सीमा 40 वर्ष होगी ;
(7)   पंचायत समितियों और जिला परिषदों तथा पब्लिक सेक्टर उपक्रमों/निगमों के कार्यकलापों के संबंध में अधिष्टायी तौर पर सेवा कर रहे व्यक्तियों के मामले में अधिकतम आयु सीमा 40 वर्ष होगी ;
(8)   विधवाओं और विवाह विच्छिन्न महिलाओं के मामले में कोई अधिकतम आयु सीमा नहीं होगी ।
स्पष्टीकरण - यह कि विधवाओं को अपने पति की मृत्यु का सक्षम प्राधिकारी का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा और विवाह विच्छिन्न महिला के मामले में उसे विवाह विच्छेद का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा ।
(9)   रिजर्विष्टों अर्थात प्रतिरक्षा सेवा के उन कार्मिकों, जिन्हें रिजर्व में स्थानान्तरित कर दिया गया है और भूतपूर्व सैनिकों के मामले में अधिकतम आयु सीमा 50 वर्ष होगी ;
(10)  अन्य पिछड़े वर्गो के अभ्यर्थियों के मामले में उपरिवर्णित अधिकतम आयु सीमा में 5 वर्ष की छूट दी जायेगी ।

15.   शैक्षिक एवं तकनीकी अर्हताएं बतौर अनुभव :- अनुसूची -I और, यथास्थिति अनुसूची-II में विनिर्दिष्ट पद (पदों) पर सीधी भर्ती के अभ्यर्थी के पास निम्नलिखित अर्हताएं होंगी :-
(1)   अनूसूची-I और यथास्थिति अनूसूची -II के स्तम्भ संख्या 5 में यथाविहित अर्हताएं और अनुभव; और
(2)   देवनागरी लिपि में लिखित हिन्दी का व्यवहारिक ज्ञान तथा राजस्थानी संस्कृति का ज्ञान ;
परन्तु यह कि पाठ्यक्रम के अन्तिम वर्ष की परीक्षा, जो सीधी भर्ती के लिए नियमों या अनुसूची में यथा उल्लिखित पद के लिए अपेक्षित शैक्षिक अर्हता है, में सम्मिलित हुआ या सम्मिलित होने वाला व्यक्ति पद के लिए आवेदन करने के (का) पात्र होगा, किन्तु उसे समुचित चयन एजेन्सी को -
(i)   जहां चयन दो चरणों की लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के माध्यम से किया जाना है, वहां मुख्य परीक्षा में सम्मिलित होने से पूर्व;
(ii)   जहां चयन लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के माध्यम से किया जाना है, वहां साक्षात्कार में उपस्थिति होने से पूर्व ;
(iii)  जहां चयन केवल लिखित परीक्षा, या यथास्थिति, केवल साक्षात्कार के माध्यम से किया जाना है, वहां लिखित परीक्षा या साक्षात्कार में सम्मिलित होने से पूर्व ;
अपेक्षित शैक्षणिक अर्हता अर्जित करने का सबूत देना होगा ।

16.   चरित्र :- सेवा में सीधी भर्ती के अभ्यर्थी का चरित्र ऐसा होना चाहिये तो उसे सेवा में नियोजन के लिए अर्हित करें । उसे महाविद्यालय या विश्व विद्यालय, जिसमें उसने अन्तिम शिक्षा पायी थी, के प्राचार्य शैक्षिक अधिकारी द्वारा प्रदत्त सच्चरित्रता का प्रमाण-पत्र और ऐसे ही दो प्रमाण-पत्र दो ऐसे उत्तरदायी व्यक्तियों को, जो उसके महाविद्यालय या विश्वविद्यालय से संबंधित न हों और न ही उसके रिश्तेदार हों और जो उसके द्वारा आवेदन-पत्र प्रस्तुत करने की तारीख से छ: माह से अधिक पूर्व के लिखे न हों, प्रस्तुत करने होंगे ।

टिप्पणी -
(1)   न्यायालय द्वारा की गयी दोषसिद्धि मात्र को सच्चरित्रता प्रमाण-पत्र न दिये जाने का आधार नहीं माना जाना चाहिए । दोषसिद्धि की परिस्थितियों पर विचार किया जाना चाहिये और यदि उनमें नैतिक अक्षता संबंधी कोई बात अन्तर्ग्रस्त नहीं है या उनका संबंध अपराधों या हिंसा या ऐसे आंदोलनों से नहीं है जिसका उद्देश्य विधि द्वारा स्थापित सरकार को हिंसात्मक तरीकों से उलटना हो तो केवल दोषसिद्धि को निरर्हता नहीं समझा जाना चाहिए ।
(2)   ऐसे भूतपूर्व कैदियों के साथ जिन्होंने कारावास में अपने अनुशासित जीवन से और वाद के सदाचरण से अपने आय को पूर्णतया सुधरा हुआ सिद्ध कर लिया हो, सेवा में नियोजन के प्रयोजनार्थ इस आधार पर विभेद नहीं किया जाना चाहिए कि वे पहले सिद्धदोष ठहराये जा चुके हैं । उन व्यक्तियों को जिन्हें ऐसे अपराधों के लिए सिद्धदोष ठहराया गया है जिसमें नैतिक अक्षमता का कोई बात अन्तर्ग्रस्त नहीं है, पूर्णतया सुधरा हुआ मान लिया जायेगा यदि वे ‘‘पश्चातवर्ती देखरेख गृह‘‘ के अधीक्षक की या यदि किसी जिला विशेष में ऐसे पश्चातवर्ती देखरेख गृह नहीं है तो उस जिले के पुलिस अधीक्षक की इस आशय की रिपोर्ट प्रस्तुत कर दें ।
(3)   उन व्यक्तियों से जिन्हें ऐसे अपराधों के लिए सिद्धदोष ठहराया गया है जिनमें नैतिक अक्षमता अन्तर्ग्रस्त है, ‘‘पश्चातवर्ती देखरेख गृह‘‘ के अधीक्षक का या यदि किसी जिला विशेष में ऐसे पश्चातवर्ती देखरेख गृह नहीं हैं तो उस जिले के पुलिस अधीक्षक का, कारागार के महानिरीक्षक द्वारा पृष्ठांकित इस आशय का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने की अपेक्षा की जायेगी कि उन्होंने कारावास के दौरान अपने अनुशासित जीवन से तथा पश्चातवर्ती देखरेख गृह में अपने वाद के सदाचरण सें यह साबित कर दिया है कि वे अब पूर्णतः सुधर गये हैं और वह नियोजन के लिए उपयुक्त है ।

17.   शारीरिक योग्यता :- सेवा में सीधी भर्ती का अभ्यर्थी मानसिक एवं शारीरिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए और उसमें किसी प्रकार का ऐसा कोई मानसिक या शारीरिक नुक्स नहीं होना चाहिए जो उसके सेवा के सदस्य के रूप में अपने कर्तव्यों का दक्षतापूर्वक पालन करने में बाधक हो और यदि वह चुन लिया जाये तो उसे सरकार द्वारा तत्प्रयोजनार्थ अधिसूचित चिकित्सा प्राधिकारी का इस आशय का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना होगा । नियुक्ति प्राधिकारी ऐसे अभ्यर्थी को उक्त प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने से अभिमुक्त कर सकेगा जो राज्य के कार्यकलाप के संबंध में पहले से ही सेवारत है और पूर्व नियुक्ति के समय उसकी स्वास्थ्य परीक्षा पहले ही की जा चुकी है और उसके द्वारा धारित दोनों पदों के लिये स्वास्थ्य परीक्षा का आवश्यक मापमान नये पद (पदों) के कर्तव्यों के दक्षतापूर्वक पालन करने के लिए तुलनात्मक दृष्टि से एक समान है और आयु के कारण उसकी तत्प्रयोजनार्थ कार्यदक्षता में कोई कमी नहीं आयी है ।

18.   अनियमित या अनुसूचित साधनों का प्रयोग :- ऐसा अभ्यर्थी जो आयोग/नियुक्ति प्राधिकारी /नियम 23 में निर्दिष्ट समिति द्वारा प्रतिरूपण से करने का अथवा बनावटी दस्तावेज जिनमें गडबड की गई है, प्रस्तुत करने का या ऐसे ब्यौरे प्रस्तुत करने का जो सही नहीं है या मिथ्या है अथवा महत्वपूर्ण सूचना छिपाने का अथवा परीक्षा या साक्षात्कार में नावाजिब साधनों का प्रयोग करने का या उनके प्रयोग करने के प्रयास करने का या परीक्षा अथवा साक्षात्कार में प्रवेश पाने के निमित्त किसी अनियमित या अनुचित साधन काम में लाने का दोषी घोषित किया जाता है या किया जा चुका है तो फौजदारी मुकदमा चलाये जाने के दायित्वाधीन रहने के अतिरिक्त उसे :-
(क)  आयोग/नियुक्ति प्राधिकारी/नियम 23 में निर्दिष्ट समिति द्वारा अभ्यर्थियों के चयन हेतु आयोजित किसी परीक्षा में प्रवेश पाने या किसी साक्षात्कार में उपस्थित होने से आयोग/नियुक्ति प्राधिकारी/नियम 23 में निर्दिष्ट समिति द्वारा ;
(ख)  सरकार के अधीन नियोजन के लिये सरकार द्वारा स्थायी तौर पर या विनिर्दिष्ट कालावधि के लिए विवर्जित किया जा सकेगा ।

19. संयाचना :- सीधी भर्ती के लिए नियमों के अधीन अपेक्षित से भिन्न किसी प्रकार की लिखित या मौखिक सिफारिश पर विचार नहीं किया जायेगा । अभ्यर्थी द्वारा अपने पक्ष का समर्थन प्राप्त करने के लिये किसी भी तरीके से किया गया प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष उसे भर्ती के लिए निरर्हित कर सकेगा ।

भाग IV

सीधी भर्ती के लिए प्रक्रिया

20.   आवेदन आमंत्रित करना :- सेवा में के पद (पदों) पर सीधी भर्ती के लिए आवेदन आयोग, या यथास्थिति, नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा भरी जाने वाली रिक्तियों को राज-पत्र में विज्ञापित करके या ऐसी किसी अन्य रीति सें, जो वे/वह ठीक समझे, आमंत्रित किये जायेंगे ;
परन्तु यह कि इस प्रकार विज्ञापित रिक्तियों के लिए अभ्यर्थियों का चयन करते समय आयोग, या यथास्थिति, नियुक्ति प्राधिकारी यदि उन्हें/उसे विज्ञापित रिक्तियों की संख्या के 50 प्रतिशत से अनधिक की अतिरिक्त अपेक्षा की सूचना चयन के पूर्व प्राप्त हो जाये तो ऐसी अतिरिक्त अपेक्षा की पूर्ति करने के लिए उपयुक्त व्यक्तियों का चयन भी कर सकेगा ।

21.   आवेदन का प्रारूप :- आवेदन आयोग, या यथास्थिति, नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित प्रारूप में किये जायेंगे और वे ऐसी फीस, यदि कोई हो, का संदाय करके आयोग के सचिव, या यथास्थिति, नियुक्ति प्राधिकारी के कार्यालय से प्राप्त किये जा सकेंगे जो आयोग/ या यथास्थिति, नियुक्ति प्राधिकारी समय-समय पर नियत करें ।

22.   आवेदन फीस :- सेवा में के किसी पद पर सीधी भर्ती का अभ्यर्थी आयोग या यथास्थिति, नियुक्ति प्राधिकारी को ऐसी फीस का जो उनके/उसके द्वारा समय-समय पर नियत की जाये ऐसी रीति से, जो उनके द्वारा उपदर्शित की जाये संदाय करेगा ।

23.   आवेदनों की संवीक्षा :- आयोग या यथास्थिति, नियुक्ति प्राधिकारी उनके/अपने द्वारा प्राप्त आवेदनों की संवीक्षा करेगा और इन नियमों के अधीन नियुक्ति के लिए पात्र इतने अभ्यर्थियों से/जितने/वे/वह वांछनीय समझें, साक्षात्कार हेतु अपने समक्ष उपस्थित होने की अपेक्षा करेगा ।
(2)   इन नियमों में अन्तर्विष्ट किसी प्रतिकूल बात के होते हुए भी, वेतनमान संख्या 1 से 6 (समय-समय पर यथा संशोधित) में के पद (पदों) के लिए चयन एक समिति द्वारा किया जायेगा जिसमें निम्नलिखित होंगे :-
(1)   विभागाध्यक्ष या उसका प्रतिनिधि (जो प्रादेशिक स्तर के अधिकारी की रैंक से नीचे का न हो )
(2)   जिला कलेक्टर या उसका प्रतिनिधि ।
(3)   विभाग का जिला स्तर अधिकारी ।

स्पष्टीकरण :- ‘‘जिला स्तर अधिकारी‘‘से जिला कलेक्टर या संबंधित नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा इस रूप में घोषित अधिकारी अभिप्रेत है और ‘‘प्रादेशिक स्तर अधिकारी‘‘से संबंधित नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा इस रूप से घोषित अधिकारी अभिप्रेत है ।
परन्तु यह कि किसी अभ्यर्थी के पात्र होने या न होने के बारे में आयोग नियुक्ति प्राधिकारी/ यथास्थिति समिति का विनिश्चय अंतिम होगा ।

24.   सिफारिश :- आयोग या यथास्थिति, नियुक्ति प्राधिकारी नियम 23 में निर्दिष्ट समिति ऐसे अभ्यर्थियों की, जिन्हें वे/वह संबंधित पद (पदों) पर नियुक्ति हेतु उपयुक्त समझें, योग्यता क्रम में एक सूची तैयार करेगा । आयोग ऐसी सूची को नियुक्ति प्राधिकारी को अग्रेषित करेगा ।
(2) आयोग, नियुक्ति प्राधिकारी या यथास्थिति, नियम 23 में निर्दिष्ट समिति विज्ञापित रिक्तियों के 50 प्रतिशत की सीमा तक उपयुक्त अभ्यर्थियों के नाम आरक्षित सूची में रख सकेगी । आयोग, अध्यपेक्षा किये जाने पर ऐसे अभ्यर्थियों के नामों की सिफारिश नियुक्ति प्राधिकारी को योग्यता क्रम में आयोग द्वारा मूल सूची अग्रेषित किये जाने के छह माह के भीतर कर सकेगा ।

25.   नियुक्ति के लिए निरर्हता :- कोई भी पुरुष/महिला अभ्यर्थी, जिसके एक से अधिक जीवित पत्नियां/पति है, सेवा में नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होगा जब तक कि सरकार अपना इस बात से समाधान कर लेने के पश्चात् कि ऐसा करने के लिये स्वीय विधि के अधीन अनुज्ञेय कोई विशेष आधार है, किसी अभ्यर्थी को इस नियम के उस पर लागू होने से छूट न दे दें ।
(2)   कोई विवाहित अभ्यर्थी सेवा में नियुक्ति का पात्र नहीं होगा/होगी । यदि उसने विवाह के समय कोई दहेज स्वीकार किया हो ।

स्पष्टीकरण :- इस नियम के प्रयोजनार्थ ‘‘दहेज‘‘ का वही अर्थ होगा, जो इस दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961 (1961 का केन्द्रीय अधिनियम 28) में दिया गया है ।

26.   नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा चयनः- नियम 7, 8, 9 और 10 के उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुए नियुक्ति प्राधिकारी नियम 24 के अधीन तैयार की गयी सूची में से योग्यता क्रम में अभ्यर्थियों का चयन करेगा ;

परन्तु यह कि किसी अभ्यर्थी का नाम सूची में सम्मिलित हो जाने मात्र से ही उसे नियुक्ति का अधिकार प्राप्त नहीं हो जाता, जब तक कि नियुक्ति प्राधिकारी का ऐसी जांच, जो वह आवश्यक समझे, करने के पश्चात यह समाधान न हो जाए कि ऐसा अभ्यर्थी संबंधित पद पर नियुक्ति के लिए अन्य सभी प्रकार से उपयुक्त है ।

भाग-V

पदोन्न्ति द्वारा भर्ती की प्रक्रिया  

27.   समिति का गठन :- समिति का गठन निम्न प्रकार से किया जायेगा :-
(क)   आयोग के कार्यक्षेत्र में आने वाले पद (पदों ) के लिएः-

1.

आयोग का अध्यक्ष या उसके द्वारा   

- अध्यक्ष

 

निर्दिष्ट आयोग का कोई सदस्य

 

2.

संबंधित प्रशासनिक विभाग का शासन सचिव

- सदस्य

3.

कार्मिक विभाग का शासन सचिव या
उसका कोई प्रतिनिधि जो कार्मिक विभाग के उप शासन सचिव की रैंक से नीचे का न हो ।

- सदस्य

4.

आयुक्त देवस्थान विभाग, राजस्थान

- सदस्य सचिव

(ख)  आयोग के कार्यक्षेत्र में न आने वाले पद (पदों) के लिए :-

1.

आयुक्त देवस्थान विभाग, राजस्थान

- अध्यक्ष

2.

संबंधित विभाग का उप शासन सचिव

- सदस्य

3.

कार्मिक विभाग का उप शासन सचिव 

- सदस्य

4.

उपायुक्त (मुख्यालय), देवस्थान विभाग 

- सदस्य सचिव

परन्तु यह कि यदि समिति के गठन में सम्मिलित कोई सदस्य, या यथा स्थिति, सदस्य सचिव संबंधित पद पर नियुक्त नहीं हुआ है, तो तत्समय पद का प्रभार धारण करने वाला अधिकारी समिति का सदस्य, या यथास्थिति, सदस्य सचिव होगा ।

28.   पदोन्नति के लिए पात्रता, कसौटी और प्रक्रिया :-
(1) ज्यों ही नियुक्ति प्राधिकारी इन नियमों के नियम 13 के अधीन रिक्तियों की संख्या अवधारित करे और यह विनिश्चित करे कि कतिपय संख्या में पद पदोन्नति द्वारा भरे जाने अपेक्षित हैं, त्यों ही वह उप नियम (6) के उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुए, ऐसे वरिष्ठतम व्यक्तियों की एक सही और पूर्ण सूची तैयार करेगा जो संबंधित पदों के वर्ग में वरिष्ठता एवं योग्यता, या यथास्थिति, योग्यता के आधार पर पदोन्नति के लिए इन नियमों के अधीन पात्र और अर्हित है ।
(2)   अनुसूची -I और यथास्थिति, अनुसूची -II के स्तम्भ 6 में प्रगणित व्यक्ति, स्तम्भ 7 में यथा विनिर्दिष्ट चयन वर्ष के अप्रैल मास के प्रथम दिन न्यूनतम अर्हता और अनुभव रखने के अध्यधीन रहते हुए, स्तम्भ 4 में उपदर्शित सीमा तक, उसके स्तम्भ 2 में उनके सामने विनिर्दिष्ट पद (पदों) पर पदोन्नति के लिए पात्र होंगे ।
(3)   किसी भी व्यक्ति की सेवा में प्रथम पदोन्नति के लिए तब तक विचार नहीं किया जायेगा जब तक कि वह सेवा में के निम्नतम पद पर अधिष्ठायी रूप से नियुक्त और स्थायी न हो । सेवा में प्रथम पदोन्नति के पश्चात सेवा में के उच्चतम पद (पदों) पर पश्चातवर्ती पदोन्नतियों के लिए वही व्यक्ति पात्र होगा जो ऐसे पद पर, जिससे पदोन्नति की जानी है, इन नियमों के उपबन्धों में विहित भर्ती की किसी एक रीति के अनुसार चयन के पश्चात नियुक्त किया गया  हो ;
परन्तु सेवा में प्रथम पदोन्नति के लिए, यदि रिक्तियों की संख्या के बराबर निम्नतम पद पर अधिष्ठायी रूप से नियुक्त और स्थायी व्यक्ति उपलब्ध न हो तो ऐसे व्यक्ति भी, जो इन नियमों के अधीन विहित भर्ती की किसी एक रीति के अनुसार चयन के पश्चात सेवा में निम्नतम पद पर नियुक्त किए गए हैं, पात्र होंगे यदि वे पात्रता की अन्य शर्तें पूरी करते हों ।

स्पष्टीकरण :- यदि किसी पद (पदों) पर सीधी भर्ती किसी वर्ष विशेष में पदोन्नति द्वारा नियमित चयन के पूर्व की गयी हो तो ऐसे व्यक्तियों की पदोन्नति के लिए भी विचार किया जायेगा जो भर्ती की दोनों रिक्तियों से उस पर पर नियुक्ति के लिए पात्र हैं या थे और पहल सीधी भर्ती द्वारा नियुक्त किये गये हैं ।
(4)   पदोन्नति की नियमित पंक्ति में राज्य सेवा में सम्मिलित नहीं किये गये पद (पदों) से राज्य सेवा में के निम्नतम पद या प्रवर्ग में पदोन्नति हेतु चयन सर्वथा योग्यता और वरिष्ठता एवं योग्यता के आधार पर 50:50 के अनुपात में किया जायेगा ;
परन्तु यदि समिति का यह समाधान हो जाये कि किसी वर्ष विशेष में सर्वथा योग्यता के आधार पर पदोन्नति द्वारा चयन के लिए उपयुक्त व्यक्ति उपलब्ध नहीं है तो वरिष्ठता एवं योग्यता के आधार पर पदोन्नति द्वारा चयन उसी रीति से किया जा सकेगा जो इन नियमों में विनिर्दिष्ट है ।
(5)   राज्य सेवा के निम्नतम पद या पदों के प्रवर्ग से राज्य सेवा के अगले उच्चतर पद या पद प्रवर्ग में तथा अधीनस्थ सेवा में के समस्त पदों के लिए पदोन्नति हेतु चयन सर्वथा वरिष्ठता एवं योग्यता के आधार पर किया जायेगा ।

स्पष्टीकरण :- यदि सेवा के किसी पद प्रवर्ग में पदोन्नति हेतु उपलब्ध पद विषम संख्या में हो तो 50:50 के अनुपात में वरिष्ठता एवं योग्यता के आधार पर और योग्यता के आधार पर पदोन्नति द्वारा चयन हेतु रिक्तियों का अवधारण करने के प्रयोजनार्थ निम्नलिखित चक्रीय क्रम अपनाया जायेगा :-

प्रथम रिक्ति वरिष्ठता एवं योग्यता द्वारा ;
पश्चातवर्ती रिक्ति योग्यता द्वारा ;
और यही चक्रीय क्रम चलता रहेगा ।

(6) (i)  पदोन्नति के लिए पात्र व्यक्तियों के विचार की सीमा निम्नलिखित होगी :-

रिक्तियों की सं0 विचार किये जाने के लिए पात्र व्यक्तियों की संख्या
(क)   एक रिक्त होने पर         पांच पात्र व्यक्ति
(ख)  दो रिक्तियां होने पर        आठ पात्र व्यक्ति
(ग)   तीन रिक्तियां होने पर       दस पात्र व्यक्ति
(घ)  चार या अधिक रिक्तियां होने पर रिक्तियों की संख्या का तीन गुणा
(ii)   जहां उच्चतर पद (पदों) पर पदोन्नति हेतु पात्र व्यक्तियों की संख्या ऊपर विनिर्दिष्ट संख्या से कम हो तो इस प्रकार पात्र समस्त व्यक्तियों के बारे में विचार किया जायेगा ।
(iii)  जहां, अनुसूचित जाति यथास्थिति अनुसूचित, जन जाति के अभ्यर्थी, ऊपर विनिर्दिष्ट विचार की संख्या सीमा के भीतर पर्याप्त संख्या में उपलब्ध न हो तो विचार की संख्या सीमा को रिक्तियों की संख्या के पांच गुना तक बढ़ाया जा सकेगा और इस प्रकार बढ़ाई गई विचार की संख्या सीमा के भीतर आने वाले अनुसूचित जाति या यथास्थिति, अनुसूचित जन जाति (अन्य कोई नहीं) के अभ्यर्थियों के बारे में भी, उनके लिए आरक्षित रिक्तियों के प्रति, विचार किया जायेगा ।
(7) (क) समिति समस्त उन समस्त वरिष्ठतम व्यक्तियों के बारे में  विचार करेगी जो इन नियमों के अधीन संबंधित पद (पदों) के वर्ग में पदोन्नति हेतु पात्र और अर्हित हैं और समिति नियम, 13 के अधीन अवधारित रिक्तियों की संख्या के बराबर उन व्यक्तियों के नाम की एक सूची तैयार करेगी जिन्हें इन नियमों में अधिकथित पदोन्नति की कसौटी के अनुसार वरिष्ठता एवं योग्यता तथा /या यथास्थिति, योग्यता के आधार पर उपयुक्त पाया गया हो /वरिष्ठता एवं योग्यता के आधार पर और /या यथास्थिति, योग्यता के आधार पर इस प्रकार तैयार की गई सूची को पदों के प्रवर्ग, जिनसे चयन किया गया हो, के वरिष्ठता क्रम में रखा जायेगा ।
(ख)  समिति इन नियमों में अधिकथित पदोन्नति की कसौटी के अनुसार वरिष्ठता एवं योग्यता के आधार पर तथा/ या यथास्थिति, योग्यता के आधार पर एक पृथक सूची भी तैयार करेगी जिसमें अस्थायी या स्थायी रिक्तियों को जो बाद में हुई हो, भरने के लिए ऊपर खण्ड(क) के अधीन तैयार की गई सूची में चयनित व्यक्तियों की संख्या के बराबर व्यक्तियों के नाम होंगे । वरिष्ठता एवं योग्यता के आधार पर तथा/या योग्यता के आधार पर इस प्रकार तैयार की गई सूची को उस प्रवर्ग, जिसमें से चयन किया जाना हो, की वरिष्ठता के क्रम में रखा जायेगा । ऐसी सूची को उस समिति द्वारा पुनर्विलोकित तथा पुनरीक्षित किया जायेगा जिसकी बैठक पश्चातवर्ती वर्ष में हो और यह कि ऐसा सूची उस वर्ष जिसके लिए विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक हो रही हो के अन्तिम दिन तक प्रवृत्त बनी रहेगी ।
(ग) ऐसी सूची में सम्मिलित किये गये समस्त अभ्यार्थियों और उन, अभ्यार्थियों, जिनका चयन नहीं किया गया हो, यदि कोई हो, के वार्षिक गोपनीय प्रतिवेदन/वार्षिक कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन तथा अन्य सेवाभिलेख के साथ, नियुक्त प्राधिकारी को भेजी जायेगी ।

स्पष्टीकरण :- योग्यता के आधार पर पदोन्नति हेतु चयन के प्रयोजनार्थ ऐसे किसी भी व्यक्ति का चयन नहीं किया जायेगा जिसका उस वर्ष, जिसके लिए विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक हो रही है, से पूर्ववर्ती 7 वर्षों में से कम से कम 5 वर्ष का अभिलेख ‘‘उत्कृष्ट‘‘ या ‘‘बहुत अच्छा‘‘ न हो ।
(8)   इन नियमों के प्रख्यापन के पश्चात यदि किसी पूर्वतन वर्ष से संबंधित ऐसी रिक्तियां, जिन्हें पदोन्नति द्वारा भरा जाना अपेक्षित है, नियम 13 के उप नियम (4) के किसी पश्चातवर्ती वर्ष में अवधारित की जाये तो समिति उस वर्ष, जिस वर्ष में समिति की बैठक आयोजित की गई है, का विचार किये बिना ऐसे समस्त व्यक्तियों के मामनों पर विचार करेगी जो उस वर्ष में, जिससे रिक्तियां संबंधित है, पात्र होते और ऐसी पदोन्नतियां उस वर्ष विशेष, जिससे ऐसी रिक्तियां संबंधित हो में पदोन्नति के लिए लागू कसौटी और प्रक्रिया द्वारा शामिल होगी और इस प्रकार पदोन्नति किये गये पदधारी की उस कालावधि के सेवा/अनुभव को जिसमें उसने उस पर का वास्तव में कार्य नहीं किया है जिस पर कि वह पदोन्नत किया गया है, उच्चतर पद (पदों) पर पदोन्नति हेतु गिना जायेगा । इस प्रकार पदोन्नत किये गये व्यक्ति का वेतन उस वेतन पर पुन: निर्धारित किया जायेगा, जो उसने अपनी पदोन्नति के समय प्राप्त किया होता किन्तु वेतन का कोई भी बकाया उसे अनुज्ञात नहीं किया जायेगा ।
(9)   सरकार, या नियुक्ति प्राधिकारी अभिलेख पर स्पष्ट रूप से गोचर होने वाली कुछ गलतियों या त्रुटियों के कारण अथवा किसी तथ्यात्मक भूल के कारण जिसकी वजह से समिति का निर्णय सारतः प्रभावित हो तो अथवा अन्य किसी पर्याप्त कारण से, उदाहरण के लिए वरिष्ठता में परिवर्तन, रिक्तियों का गलत अवधारण, किसी न्यायालय या अधिकरण का निर्णय/अनुदेश या किसी व्यक्ति के गोपनीय प्रतिवेदन में की गई प्रतिकूल प्रविष्टियों को निकाल दिया जाना दण्ड अपास्‍त किया जाना, या उसे कम कर देना, पहले हुई समिति की कार्यवाहियों को पुनर्विलोकित किए जाने का आदेश दे सकेगा । पुन: विलोकन समिति की बैठक आयोजित किये जाने से पूर्व कार्मिक विभाग तथा आयोग (जहां आयोग सहबद्ध हो) की सहमति सदैव प्राप्त की जायेगी ।
(10)  जहां आयोग से परामर्श करना आवश्यक हो वहां समिति द्वारा तैयार की गई सूचियां, उन समस्त व्यक्तियों, जिनके नामों पर समिति द्वारा विचार किया गया है वैयक्तिक पत्रावलियों तथा वार्षिक गोपनीय पंजियों सहित नियुक्ति प्राधिकार द्वारा आयोग को अग्रेषित की जायेगी ।
(11)  आयोग, समिति द्वारा तैयार की गई सूचियों पर नियुक्ति प्राधिकारी से प्राप्त अन्य सुसंगत दस्तावेजों के साथ विचार करेगा और यदि उनमें किसी प्रकार का परिवर्तन करना आवश्यक न समझे तो उन सूचियों का अनुमोदन कर देगा । यदि आयोग नियुक्ति प्राधिकारी से प्राप्त सूचियों में कोई परिवर्तन करना आवश्यक समझे तो वह अपने द्वारा प्रस्तावित परिवर्तनों की सूचना नियुक्ति प्राधिकार को देगा । आयोग की टिप्पणियों को, यदि कोई हो, महत्व देते हुए नियुक्ति प्राधिकारी उन सूचियों का ऐसे उपान्तरों सहित जो उसकी राय में न्यायसंगत एवं उचित प्रतीत हों, अंतिम रूप से अनुमोदन कर देगा लेकिन अब नियुक्ति प्राधिकारी, सरकार को कोई अधीनस्थ प्राधिकारी हो तो आयोग द्वारा अनुमोदित सूचियों में हेरफेर सरकार के अनुमोदन से ही किया जायेगा ।
(12)  पूर्ववर्ती उप नियम (11) के अधीन अन्तिम रूप से अनुमोदित सूचियों में सम्मिलित किए गए व्यक्तियों में से नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा नियुक्ति तथा उसी क्रम में की जायेगी जिस क्रम में उनके नाम सूची में रखे गये हैं, जब तक कि ऐसी सूचियां निःशेष न हो जाएं या यथास्थिति, उन्हें पुनर्विलोकित एवं पुनरीक्षित न कर लिया जाए ।
(13)  सरकार उन व्यक्तियों की पदोन्नतियों, नियुक्तियों या अन्य आनुषंगिक विषयों को न्याय संगत और उचित रीति से, अन्तिम तौर पर निपटाने के लिए अनुदेश जारी कर सकेगी, जो उस समय निलम्बनाधीन हो या जिनके विरूद्ध उस समय विभागीय कार्यवाही चल रही हो, जब किसी ऐसे पद पर की पदोन्नतियों पर विचार हो रहा हो जिसके वे पात्र हैं या यदि वे निलम्बित न होते या उनके विरूद्ध ऐसी जांच या कार्यवाही लंबित न होती तो, पात्र हुए होते ।

29.   पदोन्नति छोड़े देने वाले व्यक्तियों की पदोन्नति पर निबंधन :- यदि कोई व्यक्ति अर्जेन्ट अस्थायी नियुक्ति के आधार पर या समिति की सिफारिश पर नियमित आधार पर अगले उच्चतर पद(पदों) पर पदोन्नति द्वारा अपनी नियुक्ति होने पर अपने लिखित निवेदन से ऐसी नियुक्ति छोड़ देता है और यदि संबंधित नियुक्ति प्राधिकारी उसके निवेदन को स्वीकार कर लेता है तो संबंधित व्यक्ति को पश्चातवर्ती दो भर्ती वर्षों के लिए जिनके लिए समिति की बैठक हो, पदोन्नति हेतु (अर्जेन्ट अस्थायी नियुक्ति के आधार पर या नियमित आधार पर, दोनों ही मामलों में ) विचार करने के लिए विवर्जित किया जायेगा और ऐसे व्यक्ति के नाम, जो पदोन्नति छोड देता है, समिति के समक्ष रखी जाने वाली पश्चातवर्ती दो भर्ती वर्षों की वरिष्ठता एवं पात्रता सूची में सम्मिलित नहीं किया जायेगा ।

भाग- VI

नियुक्ति ,परिवीक्षा और स्थायीकरण

30.   सेवा में नियुक्ति :- सेवा में के पद (पदों ) पर सीधी भर्ती, या यथास्थिति, पदोन्नति द्वारा नियुक्त अधिष्ठायी रिक्तियां होने पर नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा नियम 26 के अधीन चयनित अभ्यर्थियों में से योग्यता क्रम में तथा नियम 28 के अधीन चयनित व्यक्तियों में से तथा इन नियमों के नियम 6(1) के परन्तुक (III) के अधीन उपयुक्त विनिर्णीत किये गये व्यक्तियों में से पदोन्नति द्वारा की जायेगी ।

31.   अर्जेन्ट अस्थायी नियुक्ति :- (1) सेवा में की कोई रिक्त जिसे इन नियमों के अधीन, सीधी भर्ती या पदोन्नति द्वारा तुरन्त भरा नहीं जा सकता हो, नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा उस पर किसी ऐसे अधिकारी, की जो उस/उन पद(पदों) पर पदोन्नति द्वारा नियुक्ति का पात्र हो स्थानापन्न रूप में नियुक्ति करके या किसी ऐसे व्यक्ति की, जो सेवा में सीधी भर्ती का पात्र हो, जहां ऐसी सीधी भर्ती के लिए इन नियमों के उपबन्धों के अधीन उपबन्ध किया गया हो, अस्थायी रूप से नियुक्ति करके भरा जा सकेगा ;

परन्तुक यह कि -

(i)   ऐसी कोई नियुक्ति आयोग को उसकी सहमति (जहां ऐसी सहमति आवश्यक हो) के लिए मामले के निर्देशित किये बिना एक वर्ष अधिक की कालावधि तक चालू नहीं रखी जायेगी और आयोग द्वारा सहमति देने से इनकार करने पर तुरन्त समाप्त कर दी जायेगी ;
(ii)   सेवा में के किसी पद के संबंध में, जिसके लिए भर्ती की दोनों रीतियां विहित हों नियुक्ति प्राधिकारी राज्य सेवा के मामले में सरकार के कार्मिक विभाग की तथा अधीनस्थ सेवा के संबंध में सरकार के संबंधित प्रशासनिक विभाग की विनिर्दिष्ट अनुमति के बिना सीधी भर्ती के कोटे की किसी अस्थायी रिक्ति को पूर्णकालिक नियुक्ति तीन मास से अधिक की कालावधि के लिए नहीं भरेगा उस स्थिति में जबकि ऐसी अस्थायी रिक्ति सीधी भर्ती के पात्र व्यक्तियों में से तथा अल्प कालिक विज्ञापन के पश्चात भरी जाये ।
(2)   पदोन्नति के लिए पात्रता की अपेक्षाओं को पूरी करने वाले उपयुक्त व्यक्तियों के उपलब्ध न होने की स्थिति में सरकार उपर्युक्त उप-नियम(1) के अधीन पदोन्नति के लिए अपेक्षित पात्रता की शर्त के होते हुए भी, वेतन तथा अन्य भत्तों के बारे में ऐसी शर्तों और निबन्धनों के अधीनस्थ अध्यधीन रहते हुए जो वह निर्देशित करे, रिक्तियों को अर्जेन्ट अस्थायी आधार पर भरने की अनुज्ञा प्रदान करने के लिए सामान्य अनुदेश अधिकथित कर सकेगी । तथापि, ऐसी नियुक्तियां उक्त उप‘नियम (1) के अधीन यथा अपेक्षित आयोग की सहमति के अध्यधीन होंगी ।

32.   वरिष्ठता :- सेवा में के निम्नतम पद पर, या यथास्थिति, सेवा में के प्रत्येक ग्रुप/अनुभाग में के निम्नतम पद प्रवर्ग पर नियुक्त व्यक्तियों की वरिष्ठता उक्त पद पर ऐसे व्यक्तियों के स्थायीकरण की तारीख से अवधारित की जायेगी किन्तु सेवा में के अन्य उच्चतर पद (पदों) पर, या यथास्थिति, सेवा में प्रत्येक ग्रुप/अनुभाग में के अन्य उच्चतर पद (पदों) प्रवर्ग पर पदोन्नति द्वारा नियुक्त व्यक्तियों की वरिष्ठता ऐसे पद (पदों) पर उनके नियमित चयन की तारीख से अवधारित की जायेगी ;
परन्तु यह कि -
(1)   नियम-6 के उप नियम (1) के परन्तुक (III) के अधीन उपयुक्त विनिर्णीत किये गये व्यक्तियों की पारस्परिक वरिष्ठता तदर्थ या स्थानापन्न हैसियत में या अर्जेन्ट अस्थायी आधार पर की गई निरन्तर सेवा अवधि के अनुसार अवधारित की जायेगी और वे इन नियमों के प्रारंभ होने की तारीख तक सीधी भर्ती द्वारा पदोन्नति द्वारा नियमित रूप से नियुक्त समस्त व्यक्तियों से सामूहिक रूप से रैंक में कनिष्ठ होगे ।
(2)   प्रवर्ग विशेष में किसी पद पर सीधी भर्ती द्वारा एक ही चयन के आधार पर नियुक्त व्यक्तियों की पारस्परिक वरिष्ठता ऐसे व्यक्तियों को छोड़कर जिनसे पद पर नियुक्ति का प्रस्ताव किया गया हो किन्तु जिन्होंने नियुक्ति के आदेश की तारीख से छः सप्ताह के भीतर और यदि नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा कालावधि बढायी गई हो तो ऐसी बढाई हुई कालावधि के भीतर सेवा ग्रहण न की हो, उसी क्रम में रहेगी जिस क्रम में उनके नाम नियम 24 के अधीन तैयार की गई सूची में रखे गये हैं ।
(3)   यदि एक ही वर्ष में सेवा के किसी पद पर दो या अधिक व्यक्ति नियुक्त किये गये हो तो पदोन्नति द्वारा नियुक्त व्यक्ति सीधी भर्ती द्वारा नियुक्त व्यक्ति से वरिष्ठ होगा ।
(4)   ऐसे चयन, जो पुनर्विलोकन और पुनरीक्षण के अध्यधीन न हो, के परिणामस्वरूप चयनित और नियुक्त/व्यक्ति उन व्यक्तियों से वरिष्ठ होगे जो पश्चातवर्ती चयन के परिणामस्वरूप चयनित तथा नियुक्त किये गये हैं ।
(5)   एक ही चयन में वरिष्ठता एवं योग्यता के आधार पर तथा योग्यता के आधार पर चयनित व्यक्तियों की पारस्परिक वरिष्ठता वही होगी जो उसकी ठीक नीचे की ग्रेड में है ।
(6)   यदि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति का कोई अभ्यर्थी किसी आरक्षित रिक्त के प्रति ठीक उच्चतर पद/ग्रेड में अपने से ऐसे वरिष्ठ सामान्य/अन्य पिछड़ा वर्ग अभ्यर्थी से, जो उक्त ठीक उच्चतर पद/ग्रेड में बाद में पदोन्नत हुआ हो, पहले पदोन्नत होता है तो सामान्य अन्य पिछडा वर्ग का वह अभ्यर्थी ठीक उच्चतर पद/ग्रेड में अनुसूचित जाति/जनजाति के ऐसे पूर्व में पदोन्नत हुए अभ्यर्थी पर अपनी वरिष्ठता पुनः प्राप्त कर लेगा ।

33.   परिवीक्षा की कालावधि :- (1) किसी अधिष्ठायी रिक्ति के प्रति सेवा में के सीधी भर्ती द्वारा नियुक्त किये गये समस्त व्यक्ति दो वर्ष की कालावधि के लिए परिवीक्षा पर रखे जायेंगे और जो व्यक्ति किसी अधिष्ठायी रिक्ति के प्रति सेवा में पदोन्नति द्वारा नियुक्त किये जायें, उन्हें एक वर्ष की कालावधि के लिए परिवीक्षा पर रखा जायेगा ;
परन्तु यह कि -
(i)   उनमें से ऐसे व्यक्तियों के लिए जिन्होंने किसी अधिष्ठायी रिक्ति के प्रति पदोन्नति या सीधी भर्ती द्वारा हुई नियुक्ति से पूर्व ऐसे पद पर अस्थाई रूप से स्थानापन्न कार्य किया हो जिसके पश्चात उनका नियमित चयन हो गया हो तो नियुक्ति प्राधिकारी ऐसे स्थानापन्न या अस्थाई सेवाकाल को परिवीक्षा काल में समायोजित किए जाने की अनुज्ञा दे सकेगा तथापि, ऐसा करने से किसी वरिष्ठ व्यक्ति का अधिक्रमण नहीं होगा या संबंधित कोटा में के उनके अधिमान क्रम में परिवर्तन नहीं होगा या भर्ती में आरक्षण प्रभावित नहीं होगा ;
(ii)   ऐसी नियुक्ति के पश्चात की ऐसी कालावधि जिसमें कोई व्यक्ति तत्समान या उच्चतर पद पर प्रतिनियुक्ति पर रखा गया हो, परिवीक्षा काल में गिनी जायेगी ।
(2)   उप-नियम (1) में विनिर्दिष्ट परिवीक्षाकाल के दौरान प्रत्येक परिवीक्षाधीन व्यक्ति को ऐसी विभागीय परीक्षा पारस करनी होगी और ऐसा प्रशिक्षण प्राप्त करना होगा जो सरकार समय-समय पर विनिर्दिष्ट करें ।

स्पष्टीकरण :- उस व्यक्ति की जिसकी मृत्यु हो जाए या जो अधिवार्षिकी की आयु प्राप्त करने पर सेवा निवृत्त होने को हो, परिवीक्षाकाल इतना कम कर दिया जायेगा कि यह उसकी मृत्यु या राज्य सेवा से उनकी सेवा निवृति की तारीख से एक दिन पूर्व समाप्त हो जाए । स्थायीकरण से संबंधित नियम में विभागीय परीक्षा पास करने की शर्त, मृत्यु या सेवा निवृति की दशा में अधित्यक्त समझी जायेगी ।

34.   कतिपय मामलों में स्थायीकरण :- (1) पूर्ववर्ती नियम में अन्तर्विष्ट किसी प्रतिकूल बात के होते हुए भी सेवा में के किसी पद पर अस्थायी या स्थानापन्न आधार पर नियुक्त किसी व्यक्ति को, जिसे इन नियमों के अधीन विहित भर्ती की रीतियों में से किसी एक रीति द्वारा हुई नियमित भर्ती के पश्चात उसके सीधी भर्ती द्वारा नियुक्त होने की दशा में सेवा में दो वर्ष की कालावधि पूर्ण करने पर अथवा उसके पदोन्नति द्वारा नियुक्त होने की दशा में सेवा में एक वर्ष की कालावधि पूर्ण करने पर छ‘ मास की कालावधि के भीतर स्थायी न किया गया हो तो वह अपनी वरिष्ठता के अनुसार स्थायी माने जाने का हकदार होगा, यदि :-
(i)   उसने एक ही नियुक्ति प्राधिकारी के अधीन किसी पद पर या उच्चतर पद पर कार्य किया हो अथवा वह इस प्रकार तब कार्य करता यदि वह प्रतिनियुक्ति या प्रशिक्षण पर न होता ;
(ii)   इन नियमों के अधीन विहित कोटे के अध्यधीन रहते हुए यह ऐसी शर्ते पूरी करता हो जो स्थायीकरण से संबंधित नियम के अधीन विहित है; और
(iii)  विभाग में स्थायी रिक्ति उपलब्ध हो ।
(2)   उपर्युक्त उप-नियम (1) में निर्दिष्ट यदि कोई कर्मचारी उक्त उप नियम में उल्लेखित शर्तों को पूरी करने में असफल रहता है तो उपर्युक्त उप-नियम(1) में उल्लेखित कालावधि को राजस्थान सिविल सेवा (विभागीय परीक्षा ) नियम, 1959 और किन्हीं अन्य नियमों में किसी परिवीक्षाधीन व्यक्ति के लिए यथाविहित कालावधि तक या एक वर्ष तक, जो भी अधिक हो, बढ़ाया जा सकेगा । यदि कर्मचारी फिर भी उपर्युक्त उप-नियम (1) में उल्लेखित शर्तों को पूरा करने में असफल रहता हो तो वह ऐसे पद से परिवीक्षाधीन व्यक्ति के रूप में उसी रीति से उन्मोचित किये जाने या हटाये जाने का दायी होगा अथवा उसे उस अधिष्ठायी या निम्नतर पद यदि कोई हो पर पदावनत किया जा सकेगा जिसके लिए वह हकदार हो ।
(3)   उपर्युक्त उप नियम (1) में निर्दिष्ट कर्मचारी उक्त सेवाकाल के पश्चात स्थायीकरण से विवर्जित नहीं किया जायेगा यदि उसके द्वारा समाधानप्रद रूप से कार्य करने के प्रतिकूल कोई कारण उसे उक्त सेवा अवधि के दौरान संसूचित न किए गये हों ।
(4)   उपर्युक्त उप नियम (1) में निर्दिष्ट किसी कर्मचारी को स्थायी न करने के कारणों को नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा उसकी सेवा पुस्तिका तथा वार्षिक कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन में अभिलिखित किया जायेगा ।

स्पष्टीकरण :- (1) इस नियम के प्रयोजनार्थ नियमित भर्ती से अभिप्रेत है :-
(क)   भर्ती कि किसी श्री रीति द्वारा या भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के परन्तुक के अधीन बनाये गये नियमों के अनुसार सेवा के प्रारंभिक गठन पर की गई नियुक्ति ;
(ख)  उस पद (पदों) पर की गई नियुक्ति, जिसके लिए कोई सेवा नियम विद्यमान न हो, यदि पद आयोग के कार्यक्षेत्र के भीतर हो तो भर्ती आयोग के परामर्श से की गयी हो ;
(ग)   नियमित भर्ती के पश्चात स्थानान्तरण द्वारा नियुक्ति जहां सेवा नियम इसके लिए विनिर्दिष्ट से अनुज्ञा देते हों ;
(घ)   वे व्यक्ति, जिन्हें नियमों के अधीन किसी पद पर अधिष्ठायी नियुक्ति के लिए पात्र बनाया गया हो, नियमित रूप से भर्ती किये गए समझे जायेंगे ;
परन्तु यह कि इसमें ऐसी अर्जेन्ट अस्थायी नियुक्ति या स्थानापन्न पदोन्नति सम्मिलित नहीं होगी जो पुनर्विलोकन तथा पुनरीक्षण के अध्यधीन हो ।
(ii)   वे व्यक्ति जो किसी अन्य संवर्ग में धारणाधिकार रखते हों, इस नियम के अधीन स्थायी किये जाने के पात्र होगे और वे ऐसे विकल्प का प्रयोग करने के भी पात्र होगे कि वे इस नियम के अधीन अपनी स्थायी नियुक्ति के दो वर्ष की समाप्ति पर स्थायीकरण नहीं चाहते । इसे प्रतिकूल किसी विकल्प के अभाव में यह समझा जायेगा कि उन्होंने इस नियम के अधीन स्थायीकरण के पक्ष में अपना विकल्प दे दिया है और पूर्व पद पर उनका धारणाधिकार समाप्त हो जायेगा ।

35.   परिवीक्षा के दौरान संतोषप्रद प्रगति :- (1) यदि नियुक्ति प्राधिकारी को परिवीक्षाकाल के दौरान या उसकी समाप्ति पर किसी भी समय ऐसा प्रतीत हो कि सेवा के किसी सदस्य ने उसे दिये गये अवसरों का पर्याप्त उपयोग नहीं किया है या वह संतोष प्रदान करने में असफल रहा है तो नियुक्ति प्राधिकारी उसे, उसकी नियुक्ति से ठीक पूर्व उसके द्वारा अधिष्ठायी रूप से धारित पद पर प्रतिवर्तित कर सकेगा बषर्ते कि वह उस पद पर अपना धारणाधिकार रखता हो और अन्य मामलों में उसे सेवान्मुक्त कर सकेगा या उसकी सेवा समाप्त कर सकेगा ।
परन्तु यह कि -
(i)   नियुक्ति प्राधिकारी यदि उचित समझे तो यह किसी मामले या मामलों के किसी वर्ग में, सेवा के किसी सदस्य के परिवीक्षाकाल को, ऐसी विनिर्दिष्ट कालावधि के लिए जो सेवा में के किसी पद पर सीघी भर्ती द्वारा नियुक्त व्यक्ति के मामले में दो वर्ष तक और ऐसे पद पर पदोन्नति द्वारा नियुक्त व्यक्ति के मामले में एक वर्ष तक हो, बढ़ा सकेगा,
(ii)   नियुक्ति प्राधिकारी यदि उचित समझे तो अनुसूचित जातियों या यथास्थिति, अनुसूचित जनजातियों के व्यक्तियों के मामले में परिवीक्षाकाल को एक बार में एक वर्ष तब और कुल मिलाकर तीन वर्ष से अनधिक की कालावधि तक बढ़ा सकेगा ।
(2)   उप-नियम (1) में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, परिवीक्षाकाल के दौरान यदि किसी परिवीक्षाधीन व्यक्ति को निलम्बनाधीन रखा जाता है या उसके विरूद्ध अनुशासनिक कार्यवाही किया जाना अनुध्यात हो या प्रारम्भ कर दी गई हो तो उसका परिवीक्षाकाल ऐसी कालावधि तक बढ़ाया जा सकेगा जो नियुक्ति प्राधिकारी उन परिस्थितियों में उचित समझे ।
(3)   उप-नियम (1) के अधीन परिवीक्षाकाल के दौरान या उसकी समाप्ति पर सेवा से प्रतिवर्तित या सेवोन्मुक्त परिवीक्षाधीन व्यक्ति किसी प्रकार का प्रतिकार पाने का हकदार नहीं होगा ।

36.   स्थायीकरण :- नियम 33 के अधीन परिवीक्षा पर रखा गया व्यक्ति अपने परिवीक्षाकाल की समाप्ति पर अपनी नियुक्ति में स्थायी कर दिया जायेगा,
यदि -
(क)   उसने विभागीय परीक्षा पास कर ली हो और ऐसा प्रशिक्षण सफलता-पूर्वक पूरा कर लिया हो जैसा कि नियम 33 के उप-नियम(2)में निर्दिष्ट है ;
(ख)  उसने हिन्दी में प्रवीणता संबंधी विभागीय परीक्षा पास कर ली हो;
और
(ग)   नियुक्ति प्राधिकारी का यह समाधान हो गया हो कि उसकी सत्य निष्ठा प्रश्नास्पद नहीं है और यह कि वह स्थायीकरण के लिए अन्यथा योग्य है ।

भाग- VII

वेतन                  

37.   वेतनमानः- सेवा में के किसी पद पर नियुक्त व्यक्ति का मासिक वेतनमान वह होगा जो नियम 39 में निर्दिष्ट नियमों के अधीन अनुज्ञेय हो या जैसा कि सरकार द्वारा समय-समय पर मंजूर किया जाये ।

38.   परिवीक्षा के दौरान वेतनवृद्धि :- परिवीक्षाधीन व्यक्ति राजस्थान सेवा नियम, 1951 के उपबन्धों के अनुसार परिवीक्षाकाल के दौरान उसे अनुज्ञेय वेतनमान में वेतनवृद्धि प्राप्त करेगा ।

39.   वेतन, छुट्टी, भत्ते, पेंशन आदि का विनियमन :- इन नियमों में क्या उपबंधित के सिवाय, सेवा के सदस्यों के वेतन, भत्ते, पेंशन, छुट्टी और सेवा की अन्य शर्तें निम्नलिखित द्वारा विनियमित होगी :-
(1) राजस्थान सेवा नियम, 1951, समय-समय पर यथा संशोधित ।
(2)   राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, 1958 समय-समय पर यथा संशोधित ।
(3)   राजस्थान यात्रा भत्ता नियम, 1971, समय-समय पर यथा संशोधित ।
(4)   राजस्थान सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1971 समय-समय पर यथा संशोधित ।
(5)   राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1996, समय-समय पर यथा संशोधित ।
(6)   राजस्थान सिविल सेवा (पुनरीक्षित वेतनमान) नियम, 1958 समय-समय पर यथा संशोधित ।
(7)   भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के परन्तुक के अधीन सेवा की सामान्य शर्तें विहित करने वाले समुचित प्राधिकारी द्वारा बनाये गये कोई अन्य नियम जो तत्त्समय प्रवृत्त हों ।

40.   शंकाओं का निराकरण :- यदि इन नियमों के लागू होने, इनके निर्वचन और व्याप्ति के संबंध में कोई शंका उत्पन्न हो तो इसे सरकार के कार्मिक विभाग को निर्दिष्ट किया जायेगा जिस पर उसका विनिष्चय अंतिम होगा ।

41.   निरसन और व्यावृत्तिः- इन नियमों के अन्तर्गत आने वाले मामलों से संबंधित समस्त नियम तथा आदेश, जो इन नियमों के प्रारंभ होने के ठीक पूर्व प्रवृत्त थे, इसके द्वारा, निरसित किये जाते हैं ।
परन्तु इस प्रकार निरसित नियमों और आदेशों के अधीन की गई कोई कार्यवाही इन नियमों के उपबन्धों के अधीन की गई कार्यवाही समझी जायेगी ।

42.   नियमों को शिथिल करने की शक्ति :- आपवादिक मामलों में जहां सरकार के प्रशासनिक विभाग का यह समाधान हो जाये कि भर्ती के विषय में आयु या अनुभव की अपेक्षाओं के कारण किसी विशेष मामले में नियमों के प्रवर्तन से अनावश्यक कठिनाई होती है या जहां सरकार की यह राय हो कि किसी व्यक्ति की आयु या अनुभव के संबंध में इन नियमों के किन्हीं उपबन्धों को शिथिल करना आवश्यक या समीचीन है तो वहां वह कार्मिक विभाग की सहमति तथा आयोग के परामर्श से आदेश प्रसारित करके इन नियमों के सुसंगत उपबन्धों से ऐसी सीमा तक तथा ऐसी शर्तों के अध्यधीन रहते हुए जो किसी मामले को न्यायोचित एवं साम्यापूर्ण रीति से निपटाने के लिए आवश्यक माना जाये, अभिमुक्ति प्रदान कर सकेगी या उन्हें शिथिल कर सकेगी बशर्ते कि ऐसा शिथिलीकरण इन नियमों में पहले से ही अन्तर्विष्ट उपबन्धों की तुलना में कम हितकर न हो । शिथिलीकरण के ऐसे मामले संबंधित प्रशासनिक विभाग द्वारा आयोग को निर्दिष्ट किये जायेंगे ;

परन्तु इस नियम के अधीन सेवा या अनुभव की विहित कालावधि में शिथिलीकरण विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक आयोजित होने के पूर्व किसी पद पर पदोन्नति हेतु विहित सेवा या अनुभव की केवल एक तिहाई कालावधि की सीमा तक ही मंजूर की जायेगी ।

अनसूची -I

(राज्य सेवा  में के पद )  

क्र0 सं0

पद का नाम

भर्ती की रीति और सीधी भर्ती

उसका प्रतिशत पदोन्नति

सीधी भर्ती के लिए अर्हता और अनुभव

पद जिससे पदोन्नति की जानी है

पदोन्नति के लिए अर्हता और अनुभव

अभ्युक्तियॅां

1

2

3

4

5

6

7

8

1.

उपायुक्त

-

100%

-

सहायक आयुक्त

स्तम्भ सं0 6 में उल्लिखित पद पर 5 वर्ष का अनुभव

कार्मिक विभाग (A-G-III) राजस्थान, जयपुर की अधिसूचना क्रमांक एफ 1(3)डीओपी/ए- ।। /99 दिनांक 24.01.2012 द्वारा 100% पदोन्नति के पद ।

2.

सहायक आयुक्त

50 प्रतिशत (राजस्थान राज्य एवं अधीनस्थ सेवा (संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा द्वारा सीधी भर्ती) (नियम,1999 के उपबन्धों के अनुसार)

50%

राजस्थान राज्य एवं अधीनस्थ सेवा संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा द्वारा सीधी भर्ती । नियम, 1999 में यथा अधिकथित अर्हता ।

निरीक्षक ग्रेड-।।

स्तम्भ सं0 6 में उल्लिखित पद पर 5 वर्ष का अनुभव

-

3.

सहायक अभियन्ता

-

-

-

-

सार्वजनिक निर्माण विभाग जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग/ सिंचाई विभाग से प्रतिनियुक्ति पर लिए जाने हैं।    

 

अनसूची -II

(अधीनस्थ सेवा में के पद )  

क्र0 सं0

पद का नाम

भर्ती की रीति और सीधी भर्ती

उसका प्रतिशत पदोन्नति

सीधी भर्ती के लिए अर्हता और अनुभव

पद जिससे पदोन्नति की जानी है

पदोन्नति के लिए अर्हता और अनुभव

अभ्युक्तियॅां

1

2

3

4

5

6

7

8

1.

निरीक्षक
ग्रेड-I

-

100%

-

निरीक्षक
ग्रेड-II

स्तम्भ सं0 6 में उल्लिखित पद पर 5 वर्ष का अनुभव

 

2.

निरीक्षक
ग्रेड-II

100% राजस्थान राज्य एवं अधीनस्थ सेवा(संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा द्वारा सीधी भर्ती) (नियम,1999 के उपबन्धों के अनुसार)

-

राजस्थान राज्य एवं अधीनस्थ सेवा(संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा द्वारा सीधी भर्ती) (नियम,1999 में यथा अधिकथित अर्हता      -

-

-

12½ % पद देवस्थान विभाग के अधिष्ठायी लिपिक वर्गीय स्टाफ के लिए आरक्षित रखें जायेगें।

3.

प्रबंधक
ग्रेड-I

-

100%

-

प्रबंधक
ग्रेड-II

स्तम्भ सं0 6 में उल्लिखित पद पर 5 वर्ष का अनुभव

 

4.

प्रबंधक
ग्रेड-II

50%

50%

भारत में विधि द्वारा स्थापित किसी विश्व विद्यालय से शास्त्रीय परीक्षा या संस्कृत सहित बी0ए0उत्तीर्ण ।

पुजारी

स्तम्भ सं0 6 में उल्लिखित पद पर 5 वर्ष का अनुभव

 

5.

पुजारी

50%

50%

किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से उपाध्याय या उत्तर मध्यमा या संस्कृत सहित सीनियर सैकण्डरी

सेवागीर

स्तम्भ सं0 6 में उल्लिखित पद पर 5 वर्ष का अनुभव

 

6.

सेवागीर

100%

-

किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से प्रवेशिका या पूर्व मध्यमा या संस्कृत सहित सैकण्डरी

-

-

 

7.

कनिष्ठ अभियन्ता

-

-

-

-

-

सार्वजनिक निर्माण विभाग/ जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग/सिंचाई विभाग से प्रतिनियुक्ति पर लिए जाने हैं ।

8.

कनिष्ठ प्रारूपकार

100%

-

1.किसी मान्यता प्राप्त बोर्डसे सैकण्डरी
2.किसी मान्यता प्राप्त संस्था से प्रारूपकार (सिविल) में डिप्लोमा या प्रमाण पत्र ।
 या

नेशनल काउंसिल आफ वोकेशनल ट्रेड से प्रारूपकार (सिविल) का प्रमाण पत्र और किसी वास्तुविद् कार्यालय में अनुरेखक के रूप में दो वर्ष का अनुभव।                     

 

 

 

9.

ड्राईवर

90%

10%

आठवीं कक्षा तक शिक्षित और विभागाध्यक्ष की अपेक्षाअनुसार भारी या हल्के वाहनों के चलाने की अनुज्ञप्ति तथा ड्राईवर के रूप में तीन वर्ष का अनुभव तथा उसके पास निम्नलिखित भी होना चाहिये:-
1. 65 कि0ग्रा0 से अनधिक वजन
2. चश्‍मे सहित या चश्‍मे बिना दृष्टि 6x6

3. नियुक्ति अधिकारी द्वारा व्यावसायिक परीक्षण के माध्यम से रास्ते में की छोटी-मोटी मरम्मत के ज्ञान तथा वाहन चालन में दक्षता का परीक्षण किया जावेगा।

संबंधित विभाग की चतुर्थ श्रेणी सेवा के सदस्य

आठवीं कक्षा तक शिक्षित और विभागाध्यक्ष की अपेक्षानुसार भारी या हल्के वाहनों के चलाने की अनुज्ञप्ति तथा ड्राइवर के रूप में तीन वर्ष का अनुभव तथा उसके पास निम्नलिखित भी होना चाहिये :-
1. 65 कि0ग्रा0 से अनधिक  वजन
2. चश्मे सहित या चश्मे बिना  दृष्टि6x6
3. नियुक्ति अधिकारी द्वारा व्यावसायिक परीक्षण के माध्यम से रास्ते में की छोटी-मोटी मरम्मत के ज्ञान तथा वाहन चालन में दक्षता का परीक्षण किया जायेगा ।

 

संख्या प.1(3)कार्मिक/क-2/99)
राज्यपाल के आदेश और नाम से,
एस0एन0 शर्मा,
उप शासन सचिव,
कार्मिक (क-2) विभाग,
शासन सचिवालय, जयपुर ।

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